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जानिए अक्सर क्यों करना चाहिए सुंदरकांड का पाठ

अक्सर शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस के सुंदरकांड की रचना की जाती है। शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से किया जाता है।

जब भी किसी व्यक्ति के जीवन में अधिक परेशानियां हों, कोई काम नहीं बन रहा हो, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई अन्य समस्या हो तो सुंदरकांड के पाठ से शुभ लाभ मिलने लगता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली के दोषों को दूर करने और विपरीत परिस्थितियों से छुटकारा पाने के लिए सुंदरकांड का पाठ करने की सलाह दी जाती है।

श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा अलग है। संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनकी श्रेष्ठता का प्रतिनिधित्व करता है। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो भगवान श्रीराम के हनुमान की विजय का सूचक है। सुंदरकांड आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला उपाय है। सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति मिलती है। किसी भी काम को हासिल करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।

सुंदरकांड में हनुमान समुद्र से लंका पहुंचे और वहां सीता की खोज की। लंका को जला दिया और सीता का संदेश लेकर श्रीराम के पास लौट आये। यह कांड उस भक्त की विजय का अभिशाप है, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है। सुंदरकांड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी बताए गए हैं।

संपूर्ण रामायण में सुंदरकांड को सर्वश्रेष्ठ कांड माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता है। इसलिए सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से किया जाता है। सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी को श्रीराम की विशेष कृपा भी प्राप्त हुई। किसी भी प्रकार की परेशानी, सुन्दरकाण्ड के पाठ से दूर। यह एक बढ़िया और सरल उपाय है.

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