नई दिल्ली। महाशिवरात्रि मनाने के दो कारण हैं। इस दिन भगवान शंकर का विवाह हुआ था तो दूसरा (ईशान संहिता के अनुसार) फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी की रात आदिदेव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे। बाद में भक्तों के कल्याण के लिए, उनके गुहार और मनुहार पर भगवान ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए। भारत के उत्तर से लेकर दक्षिण छोर तक बाबा उपस्थित हैं।
ये 12 ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग शहरों में हैं, जिनमें गुजरात का सोमनाथ और नागेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश का मल्लिकार्जुन मंदिर, मध्य प्रदेश का महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर मंदिर, उत्तराखंड का केदारनाथ मंदिर, महाराष्ट्र का भीमाशंकर और त्रयम्बकेश्वर मंदिर, उत्तर प्रदेश का काशी विश्वनाथ मंदिर, झारखंड का वैद्यनाथ मंदिर, तमिलनाडु का रामेश्वरम और महाराष्ट्र का घुश्मेश्वर मंदिर शामिल हैं।
बारह ज्योतिर्लिंगों में पहला सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है। जो गुजरात के सौराष्ट्र में समुद्र किनारे स्थित है। माना जाता है कि सोमनाथ मंदिर के क्षेत्र में चंद्रदेव ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। जिससे प्रसन्न होकर भगवान यहां प्रकट हुए थे। चंद्रदेव का एक नाम सोम है। इस मंदिर का नाम उन्हीं के नाम पर सोमनाथ पड़ा है।
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। रोज सुबह महाकालेश्वर मंदिर में भगवान की भस्म आरती की जाती है। यहां पूजा और दर्शन करने से भय दूर होता है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत बना हुआ है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां देवी पार्वती के साथ शिव जी ज्योति रूप में विराजमान हैं। कहते हैं यहां दर्शन करने से ही अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
मध्य प्रदेश के इंदौर से करीब 80 किमी दूर नर्मदा नदी के किनारे एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग। पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊंचाई से देखने पर ओम का आकार बना दिखता है और इसी वजह से ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
केदारनाथ धाम उत्तराखंड के चार धामों में से एक है। रुद्रप्रयाग जिले में गौरीकुंड से करीब 16 किमी दूरी पर मंदिर स्थित है। कहा जाता है- महाभारत के समय भोले नाथ ने पांडवों को बेल रूप में दर्शन दिए थे। वर्तमान मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने 8वीं-9वीं सदी में करवाया था।
बात भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की जो महाराष्ट्र के पूणो जिले में सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है। इन्हें मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि रावण के भाई कुंभकर्ण के पुत्र भीम ने पिता की मृत्यु से कुपित होकर तप करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और वरदान प्राप्त किया।
उत्तरप्रदेश के वाराणसी यानी काशी में स्थित हैं विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग। यहां महादेव के साथ ही देवी पार्वती भी विराजमान हैं। कहते हैं शिवनगरी में देवर्षि नारद के साथ ही अन्य सभी देवी-देवता आते हैं और शिव पूजा करते हैं। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति काशी में मृत्यु होती है, उसे मोक्ष मिलता है।