मामा शकुनि की जुए में ऐसी चालबाजी, की हर बाजी का हाेता था बादशाह

महाभारत (Mahabharat) की कथा में दुर्योधन (Duryodhan) के मामा शकुनि (Mama Shakuni) को कौन नहीं जानता था। वह अपनी चतुर और बुद्धि के कारण हर बाजी काे जीत जाते थे। इनकी चतुर और बुद्धि के कारण ही पांडव (Pandav) जुए में हारे थे। शकुनि जुआ खेलने में माहिर था, जिसकी हर चाल उसके पक्ष में.

महाभारत (Mahabharat) की कथा में दुर्योधन (Duryodhan) के मामा शकुनि (Mama Shakuni) को कौन नहीं जानता था। वह अपनी चतुर और बुद्धि के कारण हर बाजी काे जीत जाते थे। इनकी चतुर और बुद्धि के कारण ही पांडव (Pandav) जुए में हारे थे। शकुनि जुआ खेलने में माहिर था, जिसकी हर चाल उसके पक्ष में जाती थी। आखिर ऐसा क्या था शकुनि के पासे में कि हर चाल ले जीत जाते थे, ताे आइए आज हम आपकाे ऐसे ही रहस्य के बारे में बताते हैं-

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मामा शकुनि (Mama Shakuni) हस्तिनापुर के महाराजा धृतराष्ट्रा की पत्नी का भाई था। उनकी जीत का राज उसके पासों में छिपा था। शकुनि ‘चौसर ‘ में जिन पासों का इस्तेमाल करता था वो कोई आम पासे नहीं थे। कहा जाता हैं, कि ये पासे मामा शकुनि के मृत पिता की हड्डियों से बने थे। यही वजह है कि वो अपनी हर चाल में सफल हो जाता था। मान्यता है कि शकुनि के पासे में उसके पिता की आत्मा का वास था, जिसकी वजह से पासे शकुनि के इशारे पर काम करते थे।

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जानकारी के अनुसार मामा शकुनि (Mama Shakuni) की चौसर में रूचि को देखते हुए पिता ने कहा कि मृत्यु के बाद मेरी उंगलियों से पासा बनवा लेना, ये हमेशा तुम्हारी आज्ञा का पालन करें और जुए के खेल में सिर्फ तुम्हारी जीत होगी। मामा शकुनी ने अपने परिवार का बदला लेने के लिए कौरव और पांडवों के सामने चौसर खेलने का षडयंत्र रचा था। शकुनि ने पांडवों के विनाश के लिए कई चाल चलीं। शकुनि ने अपने आँखों के सामने अपने भाइयों, पिता को मरते देखा था। शकुनि के मन में धृतराष्ट्र के प्रति गहरी बदले की भावना थी।

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