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गेंदे के फूल का पूजा पाठ से लेकर सभी धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है इस्तेमाल

गेंदा एक बारहमासी फूल है यानी यह साल भर खिला रहता है। यह गमले में भी उतने ही अच्छे से फलता-फूलता है, जितना कि भूमि पर और यह सदैव गुच्छों में खिला-खिला होता है। देखा जाए तो गेंदे का फूल सिर्फ एक फूल नहीं बल्कि कई फूलों का एक गुच्छा होता है। उसमें बहुत सारी पंखुडियां होती है, जो अपने आप में एक फूल होती हैं। गर्मियों में खिलने वाले गेंदे के फूल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह फूल को बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है।

यही वजह है कि पूजा पाठ से लेकर सभी धार्मिक अनुष्ठानों में गेंदे का इस्तेमाल किया जाता है। सुंदरता और सुगंध से भरपूर फूलों का पूजा पाठ में इस्तेमाल से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है। अक्सर आपने देखा होगा कि पूजा या तीज-त्यौहारों पर सबसे अधिक गेंदे के फूल का उपयोग किया जाता है। पीला और केसरिया रंग लिए बेहद खूबसूरत दिखने वाला ये फूल हर देवी-देवता को प्रिय है।

शास्त्रों में गेंदे का फूल बेहद पवित्र फूल माना जाता है। गेंदे के फूल का सम्बन्ध बृहस्पति देव से भी होता है। कहा जाता है कि गेंदे के फूल के प्रयोग से ज्ञान और विद्या की प्राप्ति होती है। यह कारण है कि शहर के हर मंदिर के बाहर फूल बेचने वालों की दुकानें हमेशा सजी रहती हैं। मंदिरों के शहर जम्मू के सबसे प्रसिद्व रणविरेश्वर मंदिर के बाहर करीब 20 से 25 फू ल बेचने वाले रोजाना बैठे होते हैं जो फूल बेचकर ही अपना व अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। यू तों भगवान शिव के सावन माह में इन फूल बेचने वालों की चांदी होती है, लेकिन इस वर्ष कुछ दिन पहले हुई भारी बारिश के चलते फूल काफी मंहगे होने के कारण फूल बेचने वालों की जीविका पर भी काफी प्रभाव हुआ है।

रणविरेश्वर मंदिर के बाहर फुल बेचने वाली रानी देवी, हरिओम, राजेश, चंपा देवी और कुलदीप ने बताया कि सावन के महीने में बरसात के चलते फूल बहुत ज्यादा महंगे हो गए हैं जिसके कारण हमारा बहुत नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि फुल 150 से 200 रुपए प्रति किलो मिल रहे हैं और हमसे लोग 20 या 30 रुपए के फूल खरीदते हैं, जिसके कारण हमें नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि शादियों के सीजन में हमें फायदा होता है, लेकिन इन दिनों हमें नुकसान झेलना पड़ रहा है।उन्होंने बताया कि जितने पैसों में हम फूल खरीदकर लाते हैं शाम तक मुश्किल से 300 से 400 रुपए बनते हैं, जिसमें हमें कुछ बचता ही नहीं।

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