वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां बगलामुखी का प्राकटय दिवस मनाया जाता है: अनूप गिरी

जम्मू: प्राचीन शिव मंदिर बिशनाह के महंत महामंडलेश्वर अनूप गिरि ने बताया कि इस वर्ष बगलामुखी माता का प्राकटय दिवस 28 अप्रैल शुक्र वार को मनाया जायेगा। वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां बगलामुखी का प्राकटय दिवस मनाया जाता है। बगलामुखी माता ऋ ण, रोग और शत्रु पीड़ा से मुक्ति दिलाती है। बगलामुखी.

जम्मू: प्राचीन शिव मंदिर बिशनाह के महंत महामंडलेश्वर अनूप गिरि ने बताया कि इस वर्ष बगलामुखी माता का प्राकटय दिवस 28 अप्रैल शुक्र वार को मनाया जायेगा। वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां बगलामुखी का प्राकटय दिवस मनाया जाता है। बगलामुखी माता ऋ ण, रोग और शत्रु पीड़ा से मुक्ति दिलाती है। बगलामुखी माता के मुख्य मंदिर दतिया, नलखेड़ा (मध्यप्रदेश) तथा कांगड़ा (हिमाचल) में है। बगलामुखी माता दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या है। माता बगलामुखी का साधक सर्व शक्ति सम्पन्न हो जाता है। माता मुकदमे में, चुनाव में विजय दिलाती हैं, शत्रुओं का नाश करती है। बगलामुखी माता के मंदिरों में मुख्य रूप से हवन किए जाते हैं, जो वहां के विद्वान पंडित करवाते है। अलगअलग समस्याओं के लिए अलगअलग हवन होते है। मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अलग हवन होता है। सामान्यत: मीठे और कड़वे हवन होते है। कड़वे हवन की सामग्री में लाल मिर्च, पीली सरसों, नीबू तथा अन्य सामग्री होती है। नींबू सहित सामग्री को सिर से सात बार उतार कर हवन कुंड में डालते हैं जिससे नजर दोष, किया कराया, शत्रु बाधा आदि ठीक हो जाते है। माता बगलामुखी भक्तों की साधना उपासना से अतिशीघ्र प्रसन्न होकर मनोवांछित वर प्रदान करती है व भक्तों की सभी मनोकामनायें पूर्ण करती हैं। प्राचीन काल में युद्ध आदि में विजय के लिए भी माता बगलामुखी की उपासना की जाती थी।

बगलामुखी माता के पूजन में पीली वस्तुओं का महत्व:
बगलामुखी माता का एक नाम पीताम्बरा भी है। इसका कारण है इनका वर्ण जोकि तप्त स्वर्णमय है। इनको पीतवर्ण परम प्रिय होता है। इसलिए इनकी साधना में सामग्री भी पीली होनी चाहिए। यदि आप 28 अप्रैल को माता बगलामुखी के मंदिर न जा सकें तो घर पर भी माता का पूजन कर सकते हैं। लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं, माता का चित्र चौकी पर रखें। अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें। अपने बैठने के लिए पीले रंग का कम्बल रखें। स्वयं भी पीले रंग के वस्त्र पहनें। माता के मंत्र जप के लिए हल्दी की माला का उपयोग करें। माता की पूजन में पीले फूल, पीली मिठाई, पीले फल, हल्दी, गाय का घी, पीले रंग किए अक्षत, पीले वस्त्र आदि शामिल करें। माता की पूजन के पश्चात कन्या पूजन अवश्य करें। कन्याओं को यथाशक्ति मिठाई, फल, वस्त्र, दक्षिणा आदि दें उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लें।

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