Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

Navratri 2024 Day 4: नवरात्रि का चौथा दिन आज, इस मुहूर्त में करें मां कुष्मांडा की पूजा, इन मंत्रों का करें जाप

Navratri 2024 Day 4: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो चुकी है। आज नवरात्रि का चौथा दिन है। आज के दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा होगी। शास्त्रों के अनुसार, जो भी भक्त पूरे श्रद्धा भाव के साथ पूजा करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। बता दें मां के मुखमंडल से तेज प्रकट होता है। वही, सूर्य को प्रकाशवान बनाता है।

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा बड़े ही विधि-विधान से किया जाता है। इस दिन विशेष प्रकार के भोग भी अर्पित किए जाते हैं। तो आज इस खबर में जानेंगे कि मां कुष्मांडा की पूजा कैसे करें साथ ही भोग क्या-क्या अर्पित करें, इस दिन का विशेष लाभ क्या है और पूजा विधि उपाय व मंत्र के बारे में जानेंगे।

मां कुष्मांडा की पूजा विधि

नवरात्र के चौथे दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत मां के ध्यान से करें।
फिर स्नान कर साफ़ वस्त्र धारण करें।
अब मां कुष्मांडा को फल, फूल, धूप, दीप, हल्दी, चंदन, कुमकुम आदि चीजें अर्पित करें।
जोत/दीपक जलाकर आरती करें और मां कुष्मांडा के मंत्रों का जाप करें।
अंत में मां कुष्मांडा की पूरे श्रद्धा भाव के साथ आरती करें।
मां के भोग में मालपुआ शामिल करें।
मां से जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।

मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल की चर्तुथी तिथि की शुरुआत 06 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 49 मिनट से होगी। वही, इसका समापन 07 अक्टूबर को 09 बजकर 47 मिनट पर होगा।

शुभ मुहूर्त
रवि योग – सुबह 06 बजकर 17 मिनट से अगले दिन मध्य रात्रि 12 बजकर 11 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त – 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 28 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 06 मिनट से 02 बजकर 53 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 03 मिनट से 06 बजकर 28 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक

मां कुष्मांडा के मंत्र
1. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

2. ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’

मां ​कूष्मांडा की आरती

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

Exit mobile version