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हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 14 नवंबर 2023

रागु सूही महला ५ घरु ३
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ मिथन मोह अगनि सोक सागर ॥ करि किरपा उधरु हरि नागर ॥१॥ चरण कमल सरणाइ नराइण ॥ दीना नाथ भगत पराइण ॥१॥ रहाउ ॥ अनाथा नाथ भगत भै मेटन ॥ साधसंगि जमदूत न भेटन ॥२॥

राग सूही , घर ३ में गुरु अर्जनदेव जी की बाणी।
सर्व व्यापक ईश्वर एक है और सत्गुरू की कृपा द्वारा मिलता है नानाशवान पदार्थों के मोह, तृष्णा की अग्नि, चिंता के सागर में से, हे सुंदर हरी! कृपा कर के मुझे बचा ले॥१॥ हे नारायण! (हम जीव) तेरे सुंदर चरणों की शरण में आये हैं। हे गरीबों के खसम! हे भक्तों के सहारे! (हमें विकारों से बचाए रख)॥१॥रहाउ॥ हे निरआसरो के आसरे ! हे भक्तों के सारे दुःख दूर करने वाले! (मुझे गुरू की संगत बक्श) गुरू की संगत में रहने से यमदूत (भी) नजदीक नहीं आते (मौत का डर सता नहीं सकता)॥२॥

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