हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 23 सितंबर 2024

सोरठि महला ५ ॥ गुर अपुने बलिहारी ॥ जिनिपूरन पैज सवारी ॥ मन चिंदिआ फलु पाइआ ॥ प्रभु अपुना सदा धिआइआ ॥१॥ संतहु तिसु बिनुअवरु न कोई ॥ करण कारण प्रभु सोई ॥ रहाउ ॥ प्रभि अपनै वर दीने ॥ सगल जीअ वसि कीने ॥ जन नानक नामु धिआइआ ॥ ता सगले दूखमिटाइआ ॥२॥५॥६९॥ हे.

सोरठि महला ५ ॥ गुर अपुने बलिहारी ॥ जिनिपूरन पैज सवारी ॥ मन चिंदिआ फलु पाइआ ॥ प्रभु अपुना सदा धिआइआ ॥१॥ संतहु तिसु बिनुअवरु न कोई ॥ करण कारण प्रभु सोई ॥ रहाउ ॥ प्रभि अपनै वर दीने ॥ सगल जीअ वसि कीने ॥ जन नानक नामु धिआइआ ॥ ता सगले दूखमिटाइआ ॥२॥५॥६९॥

हे संत जनों! मैं अपने गुरु से कुर्बान जाता हूँ, जिसने (प्रभु के नाम की दात दे के) पूरी तरह (मेरी इज्ज़त रख ली है। हे भाई! वह मनुख मन-चाही मुराद प्राप्त कर लेता है, जो मनुख सदा अपने प्रभु का ध्यान करता है॥१॥ हे संत जनों! उस परमात्मा के बिना (जीवों का) कोई और (रखवाला)नहीं। वो ही परमात्मा जगत का मूल है॥रहाउ॥ हे संत जनों! प्यारे प्रभु ने (जीवों को) सभी बखशिशें की हुई हैं, सारे जीवों को उस ने अपने बस में कर रखा है। गुरू नानक जी स्वयं को कहते हैं, हे दास नानक! (कह की जब भी किसी ने)परमात्मा का नाम सुमिरा, तभी उस ने अपने सारे दुःख दूर कर लिए॥।२॥५॥६९॥

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