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हुक्मनामा श्री हरिमंदिर साहिब जी 28 अक्टूबर 2023

तिलंग घरु २ महला ५ ॥ तुधु बिनु दूजा नाही कोए ॥ तू करतारु करहि सो होए ॥ तेरा जोरु तेरी मनि टेक ॥ सदा सदा जपि नानक एक ॥१॥ सभ ऊपरि पारब्रहमु दातारु ॥ तेरी टेक तेरा आधारु ॥ रहाउ ॥ है तूहै तू होवनहार ॥ अगम अगाधि ऊच आपार ॥ जो तुधु सेवहि तिन भउ दुखु नाहि ॥ गुर परसादि नानक गुण गाहि ॥२॥ जो दीसै सो तेरा रूपु ॥ गुण निधान गोविंद अनूप ॥ सिमरि सिमरि सिमरि जन सोए ॥ नानक करमि परापति होए ॥३॥ जिनि जपिआ तिस कउ बलिहार ॥ तिस कै संगि तरै संसार ॥ कहु नानक प्रभ लोचा पूरि ॥ संत जना की बाछउ धूरि ॥४॥२॥

अर्थ: हे भाई! सब जीवों को दातें देने वाला परमात्मा सब जीवों के सर पर रखवाला है। हे प्रभू! (हम जीवों को) तेरा ही आसरा है, तेरा ही सहारा है। रहाउ।हे प्रभू! तू सारे जगत को पैदा करने वाला है, जो कुछ तू करता है, वही होता है, तेरे बिना और कोई दूसरा कुछ करने के काबिल नहीं है। (हम जीवों को) तेरा ही ताण है, (हमारे) मन में तेरा ही सहारा है। गुरु नानक जी कहते हैं, हे नानक! सदा उस एक परमात्मा का नाम जपता रह।1।हे अपहुँच प्रभू! हे अथाह प्रभू! हे सबसे ऊँचे और बेअंत प्रभू! हर जगह हर वक्त तू ही तू है, तू ही सदा कायम रहने वाला है। हे प्रभू! जो मनुष्य तुझे सिमरते हैं, उनको कोई डर, कोई दुख छू नहीं सकता। गुरू नानक जी कहते हैं, हे नानक! गुरू की कृपा से ही (मनुष्य परमात्मा के) गुण गा सकते हैं।2। हे गुणों के खजाने! हे सुंदर गोबिंद! (जगत में) जो कुछ दिखता है तेरा ही स्वरूप है। हे मनुष्य! सदा उस परमात्मा का सिमरन करता रह। गुरू नानक जी कहते हैं, हे नानक! (परमात्मा का सिमरन) परमात्मा की कृपा से ही मिलता है।3।हे भाई! जिस मनुष्य ने परमात्मा का नाम जपा है, उससे कुर्बान होना चाहिए। उस मनुष्य की संगति में (रह के) सारा जगत संसार समुंद्र से पार लांघ जाता है। गुरू नानक जी कहते हैं, हे नानक! कह– हे प्रभू! मेरी तमन्ना पूरी कर, मैं (तेरे दर से) तेरे संत जनों के चरणों की धूल माँगता हूँ।4।2।

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