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कैसे होता है सबसे बड़े ईसाई ‘धर्म गुरु Pope’ का चुनाव, क्या है काले और सफ़ेद धुँए के पीछे की मान्यता

Pope Election Process

Pope Election Process

Pope Election Process : ईसाइयों के धर्म गुरु ‘पोप फ्रांसिस‘ इस समय रोम के एक अस्पताल में भर्ती हैं। वह निमोनिया से ग्रसित है, जिसके कारण उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। ऐसे में अटकलें यह लगाई जा रही हैं कि वह जल्द ही अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। यदि वह अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं तो उनके स्थान पर नया पोप चुना जाएगा? आइये जानते है कि नये पोप का चुनाव कैसे किया जाता है?

पोप फ्रांसिस रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख हैं। यद्यपि पोप इस पद पर आजीवन रहते हैं, लेकिन किसी कारणवश असामयिक मृत्यु या इस पद से त्यागपत्र देने की स्थिति में, नए पोप का चुनाव किया जाता है। आखिरी बार किसी पोप ने 2013 में इस्तीफा दिया था। तब पोप बेनेडिक्ट ने इस्तीफा दे दिया था। वह लगभग 600 वर्षों में पद से इस्तीफा देने वाले पहले पोप थे।

कैसे होता है पोप का चुनाव?
कैथोलिक परम्पराओं के अनुसार, पोप के चुनाव के दौरान एक ‘पोप सम्मेलन’ का आयोजना किया जाता है। इस सम्मेलन के माध्यम से कार्डिनल पोप का चुनाव करते हैं। कार्डिनल कैथोलिक चर्च में सर्वोच्च पद के पादरी होते हैं। कार्डिनल विश्व भर के बिशप और वेटिकन अधिकारी होते हैं, जिन्हें पोप द्वारा व्यक्तिगत रूप से चुना जाता है। ये कार्डिनल नये पोप का चुनाव करने के लिए कई बैठकें आयोजित करते हैं।

पोप बनने के लिए आयु सीमा?
बता दें की ईसाई धर्म की परम्पराओं के अनुसार केवल एक पुरुष ही पोप बन सकता है। पोप बनने के लिए कोई निर्धारित आयु सीमा तय नहीं है। जब पोप फ्रांसिस चुने गए तब उनकी आयु 76 वर्ष थी। उनसे पहले सोलहवें पोप बेनेडिक्ट 78 वर्ष की आयु में चुने गए थे।

दो-तिहाई मत प्राप्त होने तक जारी रहता है चुनाव-
बता दें कि नए पोप के लिए वेटिकन सिटी के सिस्टिन चैपल में मतदान करवाए जाते है। यह मतदान प्रक्रिया एक विशेष प्रातः कालीन सभा से शुरू होती है, जहां 120 कार्डिनल सिस्टिन चैपल में एकत्र होते हैं। ये 120 कार्डिनल नये पोप का चुनाव करते हैं। 80 वर्ष से कम आयु के कार्डिनलों को वोट देने का अधिकार है। इस दौरान कार्डिनल्स को बाहरी दुनिया से कोई संपर्क रखने की अनुमति नहीं होती। कार्डिनल गुप्त मतदान द्वारा मतदान करते हैं। मतदान प्रत्येक दिन चार चरणों में होता है और तब तक जारी रहता है जब तक किसी भी उम्मीदवार को दो-तिहाई मत प्राप्त नहीं हो जाते।

प्रक्रिया बहुत जटिल (Pope Election Process)
पोप को चुनने की प्रक्रिया बहुत जटिल है। पोप को चुनने के लिए आयोजित सम्मलेन के दौरान हुई बैठकों के बाद, कार्डिल सभी को जाने के लिए कहता है। इससे पहले, ये कार्डिनल गोपनीयता की शपथ लेते हैं और नए पोप के चुनाव तक स्वयं को सम्मलेन तक ही सीमित रखते हैं। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि मतदान के पहले दिन ही नया पोप चुन लिया जाएगा।

क्यों मत पत्र से निकलता है काला धुँआ?
परिणामों की घोषणा के लिए तीन कार्डिनल चुने जाते है जो प्रत्येक मतपत्र के परिणाम को जोर से पढ़ते हैं। यदि किसी भी उम्मीदवार को आवश्यक दो-तिहाई मत प्राप्त नहीं होते हैं, तो मतपत्र को चिमनी में जला दिया जाता है। इन मतपत्रों को जलाने के लिए रसायनों का प्रयोग किया जाता है जिससे बहुत अधिक काला धुआँ निकलता है।

चिमनी से निकलता है सफ़ेद धुआँ-
इसी प्रकार, जब किसी उम्मीदवार को एक चरण में आवश्यक दो-तिहाई वोट प्राप्त हो जाते हैं, तो कार्डिनल्स के डीन से पूछा जाता है कि क्या वह इसे स्वीकार करते हैं। यदि वह इसे स्वीकार कर लेता है, तो पिछले चरण के वोट जला दिए जाते है। परन्तु इस बार वोटों को जलाने के लिए इस्तेमाल किए गए रसायन सफेद धुआं छोड़ेंगे, जिससे लोगों को पता चल जाता है कि उन्हें नया पोप मिल गया है।

 

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