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जानिए प्रयागराज के उस तक्षक मंदिर के बारे में, जहां जाए बिना कुंभ स्नान होता है अधूरा

Takshak temple of Prayagraj

Takshak temple of Prayagraj

Takshak temple of Prayagraj : प्रयागराज में पौष पूर्णिमा से महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए लाखों श्रद्धालु, न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी रोजाना प्रयागराज पहुंच रहे हैं। प्रयागराज में एक ऐसा तीर्थ है जिसके दर्शन के बिना यहां आना अधूरा माना जाता है।

यह दरियाबाद मोहल्ले में स्थित अति प्राचीन तक्षक तीर्थ मंदिर है। इस मंदिर का धार्मिक महत्व कई पुराणों में वर्णित है और विशेष रूप से पद्म पुराण में इसकी पूजा और दर्शन का उल्लेख मिलता है। तक्षक तीर्थ मंदिर का प्रमुख आकर्षण यह है कि यहां नागों के श्रेष्ठ नाग तक्षक विराजमान हैं, जिन्हें आदिकालीन तक्षक तीर्थ के रूप में जाना जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में आने से विषबाधा से मुक्ति मिलती है और यहां के दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि सावन महीने में इस मंदिर में दर्शन करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है और अर्ध कुंभ, महाकुंभ या माघ मेले में संगम स्नान के बाद तक्षक तीर्थ मंदिर के दर्शन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

मंदिर के महंत पंकज दुबे ने बताया, ‘यह मंदिर बहुत पुराना है। पद्म पुराण के सातवें अध्याय में इस मंदिर का उल्लेख है। कालसर्प योग, राहु की महादशा के लिए यह प्रमुख तीर्थ है। अभी प्रयागराज में कुंभ चल रहा है। कुंभ में देश-विदेश से लोग आते हैं। यहां लोग पुण्य की प्राप्ति करने आते हैं। अगर हम इस तीर्थ नगरी प्रयागराज में आते हैं और तक्षक तीर्थ के दर्शन नहीं करते हैं तो हमारी यह यात्र अपूर्ण है। कुंभ के मद्देनजर हमारी सरकार ने यहां सुंदरीकरण का कार्य किया है। यह सरकार का बहुत ही अच्छा कार्य है। इस तीर्थ का जिक्र समस्त पुराणों में है।‘

एक श्रद्धालु सुधा दुबे ने बताया, ‘ इस मंदिर की बहुत विशेषता है। यह बहुत पौराणिक मंदिर है। कलयुग के प्रथम पूज्य देवता यही हैं। यहां कालसर्प योग की पूजा होती है। हम जब चारों धाम की यात्रा करके प्रयागराज आते हैं यहां स्नान करने, तो जब तक हम तक्षक महराज के दर्शन न कर लें तब तक हमारी यात्रा सफल नहीं होती है। इनकी पुराणों में आख्या लिखी है। हम यहीं पर बड़े हुए हैं और यहां दर्शन करते रहते हैं।‘

यह तक्षक तीर्थ मंदिर यमुना तट पर स्थित होने के कारण ‘बड़ा शिवाला‘ के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां तक्षक नाग के विश्रम करने की कथा भी प्रचलित है।

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