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राधा-कृष्ण द्वारा खेली गई थी फूलों की पहली होली, जानिए फुलेरा दूज से जुड़ी मान्यताएं

सनातन धर्म में फागुन माह में फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग फूलों की होली खेलते है। क्या आप जानते है कि भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी से जुड़ी फूलों की होली की परंपरा अपने आप में अनूठी है। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी। इसके बाद से लेकर आज तक इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है। आइए जानते है इससे जुड़ी कुछ खास बातें:

कान्हा ने राधा के साथ खेली थी होली
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण किसी काम में व्यस्त हो गए और राधा रानी से नहीं मिल पाए. इस बात को लेकर राधा रानी समेत सारी गोपियां उदास हो गईं. इसका असर प्रकृति पर भी पड़ने लगा. फूल और वन सूखने लगे. चारों तरफ उदासी और पतझड़ सा छाने लगा. जिसे देख भगवान श्रीकृष्ण भी व्याकुल हो उठे. भगवान श्रीकृष्ण ने जब इसका कारण पता किया तो पता चला की राधा रानी नाराज और उदास हैं, जिसकी वजह से प्रकृति पर ऐसा प्रभाव पड़ रहा है.

उत्सव में डूबा गया था बरसाना
इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण मथुरा के बरसाना पहुंचे और राधा रानी से मिले. भगवान श्रीकृष्ण को अपने पास देख राधी रानी काफी खुश हो गईं और फूल तोड़कर फेंकने लगीं. इस दौरान कान्हा भी फूल तोड़कर राधा रानी के उपर फेंकने लगे. दोनों के बीच हो रहे इस खेल में गोपियां भी शामिल हो गईं. सभी एक दूसरे पर फूलों की वर्षा करने लगीं. बताया जाता है कि वह दिन फागुन माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी. लिहाजा तब से इस तिथि को फुलेरा दूज के नाम से जाना जाने लगा.

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