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इस दिन रखा जाएगा फरवरी का पहला प्रदोष व्रत, पूजा में भूल कर भी न करें ये गलतियां,जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

February Pradosh Vrat 2025 :  सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। बता दें कि प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए रखा जाता है। दरअसल ऐसा माना जाता है कि यदि कोई भक्त पूरे श्रद्धा भाव के साथ प्रदोष व्रत करता है तो भगवान शिव उसकी मनोकामना पूरी करते है और उनके.

February Pradosh Vrat 2025 :  सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। बता दें कि प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए रखा जाता है। दरअसल ऐसा माना जाता है कि यदि कोई भक्त पूरे श्रद्धा भाव के साथ प्रदोष व्रत करता है तो भगवान शिव उसकी मनोकामना पूरी करते है और उनके कष्टों का निवारण भी करते हैं। पंचांग के अनुसार, हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। तो आइए विस्तार में जानते है प्रदोष व्रत का शुभ योग और पूजा की विधि

रवि प्रदोष व्रत तिथि

फरवरी माघ का महीना है। इस माह शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 9 फरवरी, रविवार की रात 7:25 बजे शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 10 फरवरी 6:57 बजे हो जाएगा। बता दे कि प्रदोष काल की पूजा रात्रि में प्रदोष काल के दौरान होती है। ऐसे में 9 फरवरी के दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा। बता दे कि रविवार के दिन पड़ने के चलते इस व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है।

पूजा का शुभ मुहूर्त

बता दें कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। वही अगर शुभ मुहूर्त की बात करें तो 9 फरवरी की रात 7:25 मिनट से रात 8 बजकर 49 मिनट तक का है। इस समय से भक्त भगवान शिव की पूजा-आराधना कर सकते है, पूरे श्रद्धा भाव के साथ महादेव की पूजा आराधना कर उन्हें प्रसन्न कर सकते है।

शुभ योग

प्रदोष व्रत के दिन बेहद शुभ योग बन रहे है दरअसल इन दिन प्रीति योग और त्रिपुष्कर योग बनने जा रहा है। ऐसे में इन दोनों ही योगों का निर्माण होना बहुत शुभ संकेत माना जा रहा है।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

सबसे पहले आप सुबह जल्दी उठें और स्नान कर साफ स्वच्छ वस्त्र धारण कर ले।
इसके बाद आप चाहे तो प्रदोष व्रत के दिन सुबह के समय शिव मंदिर दर्शन करने भी जा सकते हालांकि प्रदोष व्रत की असल पूजा रात के समय की जाती है।
रात में प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
इसके बाद शिव-गौरी की भी पूजा करें।
पूजा में शिवलिंग पर फल, बेलपत्र, शहद और धतूरा आदि अर्पित किया जाता है।
भगवान शिव को दीप और धूप करें और शिव मंत्रों का जाप होता है।
बता दें भगवान शिव की आरती करके भोग लगाने के बाद पूजा विधि संपन्न होती है।
इस विधि से पूजा कर भक्त भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते है।

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