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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। ये वैशाख की संकष्टी चतुर्थी भी है। इस दिन व्रत पर पार्वती पुत्र गणपति जी की पूजा करते हैं और रात के समय में चंद्रमा की पूजा करते हैं। इस व्रत का विशेष महत्व है। गणेश जी को बुद्धि और समृद्धि का देवता माना गया है और भक्त इन्हे विघ्नहर्ता भी कहते है। इस व्रत को यदि पुरे विधि विधान के साथ किया जाये तो गणपति बप्पा का आशीर्वाद जरूर प्राप्त होता है। जिससे भक्तो की मनोकामनाएं पूरी होती है। श्रद्धा भाव के साथ पूजा करने से भक्तो के जीवन की सारी परेशानिया दूर होती है।
आज है विकट संकष्टी चतुर्थी 2024
पंचांग के अनुसार, 27 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 17 मिनट पर वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगी। यह तिथि 28 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक मान्य रहेगी। इस व्रत में चतुर्थी तिथि में चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य समय का महत्व होता है। उस आधार पर विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज 27 अप्रैल शनिवार को है। चतुर्थी तिथि 27 अप्रैल को सूर्योदय के बाद शुरू हो रही है, लेकिन चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय उस दिन ही होगा। अगले दिन चतुर्थी 28 अप्रैल को सुबह में ही खत्म हो जाएगी. इस वजह से उस दिन व्रत रखने का कोई औचित्य नहीं है।
विकट संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रात: जल्दी स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और वेदी पर भगवान भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। गंगा जल से पवित्र कर प्रभु को कुमकुम से तिलक करें। पीले फूलों की माला पहनाएं और मोदक का भोग लगाएं. गणपति जी सामने देसी घी का दीपक जलाएं।
वैदिक मंत्रों से भगवान गणेश का आह्वान करें और विधि विधान से पूजा के बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ जरूर करें। इसके साथ ही इस मंत्र का ‘त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्। ‘पाठ करें। भक्तो को आरती के बाद प्रदास ग्रहण करें।