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आज है गुरु प्रदोष व्रत, जानें पूजा के समय पढ़ी जाने वाली व्रत कथा के बारे में

आज 19 जनवरी दिन वीरवार को गुरु प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। गुरु प्रदोष व्रत पर भगवान शिव जी और माता पारवती जी की पूजा अर्चना की जाती है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि आज दोपहर 01:20 से लग रही है और यह शाम 05:49 पूजा का शुभ समय बताया जा रहा है। यह पूजा रात 08:30 बजे तक होगी। माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव जी और माता पार्वती जी प्रसन्न होती है और उनका आशीर्वाद मिलता है। आइए जानते है गुरु प्रदोष व्रत कथा के बारे में:

गुरु प्रदोष व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार वृत्तासुर ने स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया. देवराज इंद्र की सेना ने भी उसका मुकाबला किया. देवों ने असुरों पर कड़े प्रहार किए, इससे वृत्तासुर तिलमिला उठा. उसने अपनी मायावीय शक्तियों का प्रयोग करके देवताओं पर बड़ा आक्रमण कर दिया. इससे परेशान होकर सभी देवता गण गुरु बृहस्पति से वृत्तासुर को परास्त करने का उपाय पूछा.

तब देव गुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र से कहा कि वृत्तासुर को परास्त करने से पहले जानना होगा कि वह कौन है? उन्होंने बताया कि राजा चित्ररथ भगवान शिव का परम भक्त था, लेकिन एक बार उसे बहुत अभिमान हो गया और वह स्त्रियों का अपमान करने लगा. एक दिन वह अपने विमान से आकाश मार्ग से कैलाश पर्वत के पास पहुंच गया.

उसने देखा कि भगवान शिव के बाईं ओर माता पार्वती विराजमान हैं. उसने कहा कि हे प्रभु! ऐसा कभी नहीं हुआ कि सभा में कोई स्त्री पुरुष के बगल में बैठे. उसने माता पार्वती का अपमान करके महापाप कर दिया.

माता पार्वती अत्यंत क्रोधित हो उठीं. उन्होंने राजा चित्ररथ को श्राप दिया कि तुम विमान से नीचे गिर जाओगे और राक्षस योनि में जन्म लोगे. श्राप के प्रभाव से चित्ररथ नीचे गिर गया और राक्षस योनि में पहुंच गया. वह वृत्तासुर के नाम से उत्पन्न हुआ.

वृत्तासुर जन्मकाल से भी भगवान शिव का परम भक्त था. उसने भगवान शिव को प्रसन्न करके कई शक्तियां प्राप्त कर लीं. देव गुरु बृहस्पति ने इंद्र से कहा कि आप को वृत्तासुर पर विजय प्राप्त करनी है तो गुरु प्रदोष व्रत रखें और विधिपूर्वक शिव पार्वती जी का पूजन करें. उनकी कृपा से आप वृत्तासुर को परास्त कर सकते हैं.

देव गुरु के सुझाव अनुसार इंद्र ने गुरु प्रदोष व्रत रखा और शिव पार्वती का पूजन किया. इससे माता पार्वती और भगवान शिव प्रसन्न हुए. उन्होंने देवराज इंद्र को वृतासुर पर विजय प्राप्ति का वरदान दिया. उसके बाद इंद्र ने युद्ध में वृत्तासुर को परास्त करके फिर से शांति की स्थापना की. इस वजह से गुरु प्रदोष व्रत शत्रुओं को हराने के लिए किया जाता है.

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