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हुक्मनामा श्री हरमंदिर साहिब जी 24 दिसंबर 2024

Hukamnama

Hukamnama

Today’s Hukamnama : गूजरी महला ५ चउपदे घरु २ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ किरिआचार करहि खटु करमा इतु राते संसारी ॥ अंतरि मैलु न उतरै हउमै बिनु गुर बाजी हारी ॥१॥ मेरे ठाकुर रखि लेवहु किरपा धारी ॥ कोटि मधे को विरला सेवकु होरि सगले बिउहारी ॥१॥ रहाउ ॥ सासत बेद सिम्रिति सभि सोधे सभ एका बात पुकारी ॥ बिनु गुर मुकति न कोऊ पावै मनि वेखहु करि बीचारी ॥२॥

अर्थ :- हे भाई ! दुनीयादार मनुख कर्म-काँड करते हैं, (स्नान, संधिआ आदि) छे (प्रसिध मिथे हुए धार्मिक) कर्म कमाते हैं, इन कामों में ही यह लोक परचे रहते हैं । पर इनके मन में टिकी हुई हऊमै की मैल (इन कामों के साथ) नहीं उतरदी । गुरु की शरण आए बिना वह मनुखा जन्म की बाजी हार जाते हैं ।1। हे मेरे स्वामी- भगवान ! कृपा करके मुझे (दुरमति से) बचाई रख । (मैं देखता हूँ कि) करोड़ों मनुष्यों में से कोई विरला मनुख (तेरा सच्चा) भक्त है (दुरमति के कारण) ओर सारे मतलबी ही हैं (आपने मतलब की खातिर देखने को ही धार्मिक काम कर रहे हैं) ।1।रहाउ। हे भाई ! सारे शासत्र, सारे वेद, सभी सिमिृतीया यह सारे हम पड़ताल करके देख लिए हैं, यह सारे भी यही एक बात पुकार पुकार के कहि रहे हैं, कि गुरु की शरण आए बिना कोई मनुख (माया के मोह आदि से) खलासी नहीं पा सकता। हे भाई ! आप भी बे-शक मन में विचार करके देख लो (यही बात ठीक है)।2।

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