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16 फरवरी को है विजया एकादशी व्रत, इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान विष्णु जी की पूजा

16 फरवरी दिन गुरुवार को विजया एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने से और भगवान विष्णु जी की पूजा करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है। इस दिन पूरी विधि के साथ पूजा करने से सभी कठिन कार्य सरल हो जाते है। आइए जानते है विजया एकादशी व्रत कथा के बारे में:

विजया एकादशी व्रत कथा
बार युधिष्ठिर के मन में फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत के बारे में जानने की इच्छा हुई तो उन्होंने इसके बारे में भगवान श्रीकृष्ण से पूछा। तब श्रीकृष्ण ने उनको बताया कि फाल्गुन कृष्ण एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं। विजया एकादशी व्रत कार्यों में सफलता के लिए है। इस व्रत को करने से पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष भी मिलता है। इसकी कथा इस प्रकार है-

एक बार नारद जी ने बह्म देव से विजया एकादशी व्रत की विधि और महत्व के बारे में पूछा। तब ब्रह्म देव ने उनको बताया कि त्रेता युग में कैकेयी ने जब दशरथ जी से राम को वनवास भेजने को कहा तो पिता की आज्ञा से श्रीराम पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल के लिए वन चले गए। उस दौरान रावण माता सीता का हरण कर लेता है। फिर प्रभु राम जी से हनुमान की मुलाकात होती है। हनुमान की मदद से वानर सेना सीता की खोज कर लेती है और लंका जाने के लिए समुद्र पार करने का उपाय सोचा जाता है।

एक दिन लक्ष्मण ने प्रभु राम को बताया कि पास में ही वकदालभ्य ऋषि का आश्रम है, वहां चल कर वकदालभ्य ऋषि से समुद्र पार करने और लंका जाने का सुझाव मांगते हैं। इस पर श्रीराम वकदालभ्य ऋषि के आश्रम में जाते हैं और ऋषि को प्रणाम करते हैं। समुद्र पार कैसे किया जाए? इस समस्या के समाधान के लिए उनके पास आने का प्रयोजन बताते हैं।

तब वकदालभ्य ऋषि ने कहा कि आप फाल्गुन कृष्ण एकादशी को विजया एकादशी का व्रत विधि विधान से करें और भगवान विष्णु का पूजन करें। यह व्रत आप अपने अनुज, सेनापति और अन्य प्रमुख साथियों के साथ कर सकते हैं। इस व्रत को करने से आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा और आप लंका पर विजय प्राप्त करेंगे।

वकदालभ्य ऋषि के बताए अनुसार श्रीराम ने अपने सभी प्रमुख सहयोगियों के साथ विजया एकादशी का व्रत विधिपूर्वक किया। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से वानर सेना सहित प्रभु राम समुद्र को पार करके लंका पहुंच गए। रावण के साथ भीषण युद्ध हुआ और वह मारा गया। श्रीराम की लंका पर विजय हुई और माता सीता को लेकर वे अयोध्या लौट गए।

जो भी व्यक्ति विधि विधान से विजया एकादशी का व्रत करता है, उसे कठिन से कठिन कार्यों में सफलता मिलती है। ब्रह्म देव ने नारद जी को बताया था कि विजया एकादशी का व्रत मनुष्यों को हर कार्य में सफलता देने वाली है।

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