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आज विनायक चतुर्थी पर करें भगवान गणेश की पूजा अर्चना, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि, मनोकामनाएं होंगी पूर्ण

आज 9 जुलाई, मंगलवार के दिन आषाढ़ माह की विनायक चतुर्थी मनाई जा रही है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा बहुत शुभ माना जाता है।

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Vinayak Chaturthi 2024: हिन्दू धर्म के अनुसार कोई भी शुभ काम करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। जो भक्त भगवान गणेश पूजा पूरे श्रद्धा भाव के साथ करते है बप्पा उसके सभी विघ्न हर लेते हैं। सभी भक्तों को बता दें कि आज 9 जुलाई, मंगलवार के दिन आषाढ़ माह की विनायक चतुर्थी मनाई जा रही है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा बहुत शुभ माना जाता है। आज के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। बता दे कि सुबह 6 बजकर 9 मिनट से 7 बजकर 52 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इसके साथ ही रवि योग 7 बजकर 52 मिनट से अगले दिन सुबह 5 बजकर 31 मिनट तक रहने वाला है। तो चलिए जानते है कि भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने का शुभ मुहूर्त और विधि

विनायक चतुर्थी की पूजा का समय

पंचांग के अनुसार, विनायक चतुर्थी की तिथि 9 जुलाई, मंगलवार सुबह 6 बजकर 8 मिनट पर शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 10 जुलाई, बुधवार सुबह 7 बजकर 51 मिनट पर हो जाएगा। मान्यता के अनुसार पूजा का शुभ मुहूर्त आज सुबह 11 बजकर 3 मिनट से दोपहर 1 बजकर 50 मिनट के बीच माना जा रहा है। इस समय पूजा करना बेहद शुभ है। ऐसे में भक्त पूरे श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा अर्चना करें।

विनायक चतुर्थी पर पूजा करने की विधि

विनायक चतुर्थी के दिन पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लिया जाता है।
आज के दिन भक्तो को लाल रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए ये बहुत शुभ जाना जाता है।
पूजा करने के लिए भगवान गणेश के समक्ष जटा वाला नारियल रखे।
भगवान गणेश को गुलाब के फूल और दूर्वा अर्पित करें और और भोग में मोदक रखे।
धूप और दीप जलाकर भगवान गणेश के मंत्र ॐ गं गणपतये नमः का 27 बार जाप करें।
इसके बाद गणेश आरती करके पूजा का समापन करें।

विनायक चतुर्थी के पूजा मंत्र
ऊँ सुमुखाय नम:
ऊँ एकदंताय नम:
ऊँ गणाध्यक्षाय नम:
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।

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