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बुद्ध पूर्णिमा को भगवान विष्णु के नौवे अवतार की आराधना , जाने पूजा की विधि, तुलसी से जुड़ी गलतियों से रहे सावधान

Buddha Purnima 2024: इस साल की बैशाख पूर्णिमा 23 मई को आ रही है। जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं। दरअसल भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु को नौवां अवतार माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना बहुत अच्छा माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन विशेष रुप से भगवान विष्णु की ही पूजा की जाती है।जो भी भक्त इस दिन पूरे विधि विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा करता हैं उसे मनोवांछित फल प्राप्त होता है । लेकिन आपको कुछ बातें का ध्यान आवश्य रखना हैं। भक्तो को इस दिन विष्णु प्रिया तुलसी से जुड़ी गलतियां धन की देवी लक्ष्मी को नाराज कर सकती हैं। आइए जानते हैं उन गलतियों के बारे में।

तुलसी का स्पर्श :- भक्तो को बुद्ध पूर्णिमा के दिन शाम के समय तुलसी की पूजा के दौरान पौधे को छुने से बचना चाहिए. क्योंकि इस समय तुलसी के पौधे को छुने से माता लक्ष्मी के नाराज हो सकती है।

खुले बाल न रहें :- हम अक्सर नहाने के बाद जब पूजा करने जाते है तो अपने बाल खुले ही छोर देते है लेकिन मान्यता है कि माता तुलसी की पूजा के दौरान महिलाओं को अपने बाल हमेशा बांध कर रखने चाहिए. ऐसा न करने से देवी लक्ष्मी के नाराज होने का डर रहता है ।

पत्तियां तोड़ने में सावधानी :- बुद्ध पूर्णिमा को भगवान विष्णु की पूजा के लिए तुलसी की पत्तियों को सावधानी से तोड़ना चाहिए। इससे बेहतर होगा कि आप एक दिन पहले ही पत्तियां तोड़ लें। ऐसे अगर आपको लगता है कि पत्तियां तोड़नी जरूरी हो तो आप नाखून का उपयोग कर पत्तियां तोड़ने से बचें।

तुलसी की परिक्रमा :- भक्त तुलसी की पूजा और जल देते है ऐसे में अगर आप पौधे की परिक्रमा कर ले तो इसका बहुत लाभ है। इसलिए तुलसी में जल देने के बाद तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा नहीं करने से माता लक्ष्मी के नाराज होने का भय होता है।

साफ सफाई :- पूजा पाठ करते समय उसके आसपास हमेशा साफ सफाई रखें। पौधे के पास बिल्कुल भी गंदगी न हो क्योंकि पौधे के पास गंदगी से धन की देवी लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं. बुद्ध पूर्णिमा के दिन घर में सात्विक भोजन बनाएं और भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ाएं।

बुद्ध पूर्णिमा को भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्ते जरूर चढ़ाएं।
इसके साथ ही हाथ में तुलसी की माला लेकर मां लक्ष्मी के मंत्र – ऊं श्रीं ह्नीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम: का पाठ करें।

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