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‘Bhaiyya Ji’ Movie Review : फिल्म में ‘भैया जी’ के किरदार को Manoj Bajpayee ने निभाया है बखूबी, फिल्म का स्क्रीनप्ले है कमजोर

मुंबई (फरीद शेख) : मनोज बाजपेयी की फिल्म भैया जी की कहानी 2014 बिहार के सीतामणि के सेट पर आधारित है। भैया जी फिल्म में मनोज बाजपेयी के किरदार को लोग भैया जी के नाम से जानते हैं। भैया जी का नाम ही काफी है। फिल्म में हर तरफ भैया जी यानि मनोज बाजपेयी का ही आतंक नजर आता है। भैया जी का निर्देशन अपूर्व सिंह कार्की ने किया है. इसे अपूर्व ने दीपक किंगरानी के साथ मिलकर लिखा है। फिल्म की पूरी कहानी देखने के लिए दर्शकों को अपने नजदीकी सिनेमाघरों के तरफ रूख करना होगा।

बिहार के पूपरी, गांव सितामंडी के राम चरण उर्फ भैया जी का गांवभर में अलग भौकाल है. शांत स्वभाव के भैया जी को गांव में भगवान समान माना जाता है। एक वक्त था जब भैया जी ने अपने फावड़े से अच्छे-अच्छे को मौत के घाट उतारा है, लेकिन अब सालों से शेर शांत है. उसे एक ट्रैजडी ही जगा सकती है। भैया जी के दिल्ली में पढ़ने वाले छोटे भाई की हत्या हो जाती है। इस हत्या के पीछे एक ताकतवार बाप-बेटे हैं। ऐसे में भैया जी के बार-बार निवेदन करने पर जब बात नाहीं बनती तो वो नरसंहार का फैसला लेते हैं। अब कैसे भैया जी अपने बेटे जैसे छोटे भाई की मौत का बदला लेंगे, ये देखने वाली बात होगी।

फिल्म में भैया जी के किरदार को मनोज बाजपेयी ने बखूबी निभाया है। इस बात में कभी कोई शक था ही नहीं कि मनोज इस दबंग और खूंखार किरदार को निभा सकते हैं या नहीं, लेकिन भैया जी का किरदार अपने आप में काफी कमजोर है। उनके इमोशन्स और रौब को मनोज बाजपेयी काफी अच्छे तरीके से पर्दे पर उतारते हैं, लेकिन फिर भी कहीं कमी रह जाती है। अपूर्व सिंह कार्की ने ‘भैया जी’ का निर्देशन किया है। इससे पहले उन्होंने मनोज बाजपेयी के साथ ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ फिल्म की थी। उस फिल्म में जो दिक्कत थी, वही इसमें भी है।

मनोज बाजपेयी ने अपना काम बखूबी निभाया है, लेकिन फिल्म का स्क्रीनप्ले कमजोर है। पिक्चर के पहले हाफ को देखने में फिर भी मजा आता है। सेकेंड हाफ में फिल्म 3 फ्लोर गिर जाती है और आप अपना सिर पकड़े उसके खत्म होने का इंतजार करने लगते हैं। इसके साथ ही मूवी का लाउड बैकग्राउंड स्कोर आपके कान फाड़ देता है। फिल्म ‘भैया जी’ के साथ ऐसा होने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन ये फिल्म आपको खुश कम और निराश ज्यादा करती है। मनोज बाजपेयी की फिल्म कुछ जगहों पर मजबूत है, कुछ हिस्सों से उम्मीद के मुताबिक, कुछ मजबूत वाक्य और अच्छा एक्शन और कुछ खून-खराबा भी है। मैं निश्चित रूप से इस फिल्म को देखने के लिए उत्साहित था, हालांकि यह मेरी सभी उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाई और छोटी लगी। फिल्म के कुछ क्षेत्रों में पटकथा खींची हुई लगती है।

वीएफएक्स औसत से लेकर ठीक-ठाक हैं। एक्शन भी अच्छा है, ऐसा कुछ भी नहीं जो पहले कभी न देखा हो या कोई अलग शैली हो, यह पूरी तरह से सामान्य एक्शन है। कहानी राजनीति पर आधारित है, इसने मुझे कुछ क्षेत्रों में रुचि दिखाई, कुछ क्षेत्रों में कथा को बेहतर बनाया जाना चाहिए था, लेकिन यह विफल हो गया। दैनिक सवेरा टाइम्स ने एक्शन और नरेशन रेटिंग 3. स्टार दी है, निश्चित रूप से एक्शन देखने लायक है और संवाद निश्चित रूप से देखने लायक हैं, लेकिन सभी नहीं केवल कुछ संवाद शक्तिशाली हैं, बाकी सामान्य हैं। पटकथा अच्छी है जो राजनीति के गहरे पहलुओं पर आधारित है

दैनिक सवेरा टाइम्स ने एक्शन और नरेशन रेटिंग 3. स्टार दी हैं।

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