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निर्देशक ‘Hemwant Tiwari’ ने भारत में पहली 1घंटे 40 मिनट की नॉन स्टॉप शूटिंग से बनाई फिल्म

मुंबई: फिल्म ‘लोमड’ का ट्रेलर आज निर्देशक हेमवंत तिवारी ने हॉल ही में अपने यूट्यूब चैनल पर आज रिलीज़ किया है। करीब दो मिनट के ट्रेलर की कहानी बता रही है कि है कि एक मर्डर हुआ है और अभय एक सीन में अपनी दोस्त से बात कर रहा है। इस ट्रेलर को दर्शक काफी पसंद कर रहे है।इस फिल्म में एक भी कट नहीं लगा है । इसे एक बार में ही पूरा किया गया है।भारत में पहली बार इस तरह की फिल्म रिलीज़ हुई है।आज हम बात करेंगें ‘लोमड’ फिल्म के निर्देशक हेमवंत तिवारी से।

1.लोमड़ फ़िल्म बनाने के पीछे आपकी क्या मंशा थी?

कुछ नया करने की चाहत और दुनिया को कुछ अनोखा दिखाने की चाहत मुझे ,लोमड़ फ़िल्म बनाने की प्रेणणा दे गई।

2.अपने जो विश्व रिकॉर्ड बनाया बिना कैमरा ऑफ किये ,1घंटे 40 मिनट की नॉन स्टॉप शूटिंग की, इसमें कितनी मुश्किलात आयी आपको ?बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। घर का रेन्ट बकाया हो गया था, इतना ही नही एक बार तो

घर से बाहर भी निकाल दिया गया था। मुझे मेरी बाइक बेचनी पड़ गयी थी। पिछले दो सालों से रात में ड्राइव करके और दिन में योगा सिखाकर पैसे कमाया तांकि इस फ़िल्म को रिलीज कर सकू। एक वक्त ऐसा भी आया जब समझ मे नही आ रहा था कि क्या करूँ। रातों को नींद नही आती थी। उल्टी आती थी, बेचैनी होती थी,अकेलापन महसूस होता था।

3.फ़िल्म स्टार्ट होने के पहले कैसी तैयारी थी? क्या मन मे कोई डर था कि ये कैसे हो पायेगा ?

तैयारी ऐसी थी कि शुरुवात में एक्टर्स से लेकर कैमेरामन,प्रोड्यूसर और फाइनेन्सर को इस प्रोजेक्ट के लिए रेडी कर पाना बाद मुश्किल हो गया था। क्योंकि सबको पता हैं कि ऐसी फिल्म रोज नही बनती हैं इसीलिए कोई हाथ लगाने को तैयार नही था। मैंने अपनी मेहनत के पैसे इस फ़िल्म में लगाये और फिर एक्टर्स और कैमेरामन को इक्कठा किया। जब सबके पास टाइम रहता तब हम रिहर्सल करते।जब स्क्रिप्ट, एक्टर्स, टेक्नीशियन सबके बीच तालमेल हो गयी तब हमने फुल रिहर्सल्स करना शुरू कर दिया और नतीजा आपके सामने हैं।

4.जब हम नॉन commericial फ़िल्म बनाते हैं तब फ़िल्म की मार्केटिंग और रीलिसिंग के लिए फंडिंग एक बहुत बड़ा challange होता हैं. आपके लिये क्या अनुभव रहा फंडिंग को लेकर, जब फ़िल्म 3 अगस्त को रिलीज हो रही हैं ?

फंडिंग इक्कठा करना इस फ़िल्म के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण अनुभव रहा हैं। ये फ़िल्म मेरी हैं ,मैंने हाल ही में लोमड़ी के कपड़े पहनकर अपने आप को सड़क पर उतारकर इस फ़िल्म का प्रोमोशन किया हैं।और वहां पर मुझे डायरेक्ट लोगों से इंटरैक्ट करने का मौका मिला।लोगों का मुझे बहुत प्यार मिला। बहुत सारे मैसेजस आ रहे हैं ,दिल्ली, गुड़गाव,मुंबई, नोएडा हर जगह से लोगों का सिर्फ प्यार मिल रहा हैं।

 

5.क्या लगता हैं कि फेस्टिवल्स में कमाल दिखा चुकी ये फ़िल्म अब आज ओटीटी की भीड़ में दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ पाएगी!

बिल्कुल छोड़ पाएगी। बल्कि अभी से लोगों के बीच इस फ़िल्म की गर्माहट को मैं महसूस कर सकता हूं। लोगों को सिंगल टेक फ़िल्म क्या होती हैं इस फ़िल्म को देखने के बाद पता चलेगा। ऐसी फ़िल्म अभी तक सिनेमाघरों में आयी नही हैं। मुझे लगता हैं कि जब आप कुछ लीग से हटकर कुछ करने की कोशिश करते हो, तब वही स्टाइल आपकी लोगों को पसंद आती हैं।

6.आखिर इतने साल बाद , क्या वजह है कि आपने फ़िल्म थिएटर में रिलीज करने की सोची ?

मैं इस फ़िल्म को थिएटर में ही रिलीज करना चाहता था लेकिन कोरोना के चलते थोड़ा लेट हो गया। ओटीटी पर भी कोशिश की लेकिन वहां भी बात नही बनी। एक दिन पापा से बात हो रही थी तब उन्होंने कहा कि” बेटा सपने जीना मत छोड़ो,एक ही जिंदगी हैं । तुमने इतने साल दिए हैं इस फ़िल्म को। बस वही बात मुझे कही लग गयी और फिर क्या जीतोड़ मेहनत की और पैसे जुटाकर आज फ़िल्म रिलीज कर रहा हु।

7..इसके अलावा आपके आनेवाली प्रोजेक्ट के बारे में बता पाए?

वैसे दिमाग मे काफी कुछ चल रहा हैं लेकिन सबसे पहले मैं लोमड़ पर फोकस करना चाहता हु। मेरे पास काफी स्क्रिप्ट हैं जिसपर मैं इस फ़िल्म के बाद काम करूंगा।

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