भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के किरदार के लिए एक्टिंग टीचर की शरण में पहुंचे पंकज त्रिपाठी

लखनऊ: मिर्जापुर और क्रिमिनल जस्टिस जैसी कई लोकप्रिय वेबसीरीज के जरिये अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके बालीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व को रुपहले पर्दे पर निभाना उनके फिल्मी करियर का सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य था जिसे अंजाम तक पहुंचाने के लिये उन्हे 25 साल बाद अपने.

लखनऊ: मिर्जापुर और क्रिमिनल जस्टिस जैसी कई लोकप्रिय वेबसीरीज के जरिये अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके बालीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने कहा कि भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व को रुपहले पर्दे पर निभाना उनके फिल्मी करियर का सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य था जिसे अंजाम तक पहुंचाने के लिये उन्हे 25 साल बाद अपने एक्टिंग टीचर की शरण में जाना पड़ा।

पूर्व प्रधानमंत्री की आत्मकथा पर बनी फिल्म ‘मैं अटल हूं’ के गीत हिन्दू तन मन…’ की लाचिंग के मौके पर नवाब नगरी आये पंकज ने गुरुवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा “ मै अपने अभिनय के 25 साल के करियर में किसी भी किरदार के लिये अपने एक्टिंग टीचर के पास नहीं गया, थोड़ी बहुत परेशानी आने पर टीचर को फोन करके टिप्स से ही काम चल जाता था मगर अटल के किरदार को जानने समझने के बाद निभाने में परेशानी आने पर मुझे अपने एक्टिंग टीचर के पास जाना पड़ा और दो घंटे देने पड़े क्योंकि चुनौतियां बहुत थी।

यह कोई काल्पनिक व्यक्तित्व नहीं है। बाकी फिल्मों में हम काल्पनिक किरदार को निभाते है जो लेखक निर्देशक सोच कर हमें बताते हैं मगर इस विराट व्यक्तित्व को निभाने के लिये सोचना पड़ा कि हमे कितना गंभीर होना है,कितनी मिमिक्री करनी है,नकल कितनी करुं। यह मुश्किल भरी चुनौती थी क्योंकि मुझे मिमिक्री करनी आती भी नहीं है।”

उन्होने कहा “ इस किरदार को निभाने के लिये मुझे निर्देशक रवि से इस बारे में लंबी बातचीत करनी पड़ी कि हमें उनके मनोभाव को पकडना है कि उनके विचारों को पकडना है। हम जितना मंच पर दिखते है,उससे कहीं अधिक हमारा निजी व्यक्तित्व होता है जो लोगों के सामने नहीं आ सकता। आखिरकार बतौर अभिनेता मुझे लगा कि मै उनकी चेतना को पकड़ूंगा,उनकी आत्मा को पकड़ूंगा,उनके विचारों को पकड़ूंगा।

अटल जी के हावभाव,उनके बोलने का अंदाज,अटल जी के विराम बड़े रुचिकर होते थे और इन्ही मनोभावों को मैने पर्दे पर चित्रित करने का प्रयास किया है। हम अटल के कठिन निर्णयों को जानते है,उनके भाषणों से परिचित है मगर हमने इस फिल्म में उनकी जीवन यात्रा को फिल्मी पर्दे पर उतारने का प्रयास किया है। मुझे विश्वास है कि दर्शकों का प्यार मुझे मिलेगा। ”

अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के ठीक पहले 19 जनवरी को फिल्म की रिलीज को लेकर पूछे गये एक सवाल पर फिल्म निर्देशक रवि जाधव ने कहा कि तीन साल पहले फिल्म निर्माण का काम चालू हुआ था। उस समय किसी को पता नहीं था कि फिल्म की शूटिंग कब पूरी होगी और कब रिलीज होगी। पहले पूर्व प्रधानमंत्री की जयंती 25 दिसंबर को फिल्म के रिलीज करने की योजना थी मगर एडिटिंग की कमियों को पूरा करने के लिये रिलीज की तारीख को आगे बढाना पड़ा।

उन्होने कहा कि फिल्म की शूटिंग वैसे तो अटल के जन्मस्थान आगरा के बटेश्वर,ग्वालियर,दिल्ली और मुबंई में हुई है मगर शूटिंग का बड़ा हिस्सा उनके संसदीय क्षेत्र लखनऊ में फिल्माया गया है जहां पूरी फिल्म यूनिट को यहां के लोगों का प्यार मिला।

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