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इस फिल्म ने तोड़ी थी अमिताभ बच्चन की Angry Young Man वाली छवि, कॉमिक टाइमिंग पर फिदा हुए थे लोग

मुंबई: सदी के महानायक और बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने अपने फिल्मी करियर में हिंदी सिनेमा को कई शानदार फिल्में दी। उनके फिल्म करियर का आगाज तो अच्छा नहीं था, लेकिन 1973 में आई जंजीर ने उन्हें बॉलीवुड का एंग्री यंग मैन बना दिया। ‘जंजीर’ ने अमिताभ के करियर को नई दिशा देने का काम किया। उनका निभाया विजय का किरदार हर किसी की जुबान पर था। ‘जंजीर’ से अमिताभ बच्चन को ऐसा स्टारडम मिला कि उनके हिस्से में दीवार और शोले जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में आईं।

साल 1975 का था, जब एक्शन क्राइम ड्रामा फिल्म दीवार आई। इस फिल्म को सलीम-जावेद की जोड़ी ने लिखा था और यश चोपड़ा ने डायरेक्ट किया। फिल्म दीवार के डायलॉग इतने दमदार थे कि इसने दर्शकों को कुर्सी से बांधे रखा। दीवार के बाद उसी साल फिल्म शोले आई, जो भारतीय सिनेमा के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई। इस फिल्म ने अमिताभ की दुनिया को बदलकर रख दिया। अमिताभ ने ‘शोले’ में जय का किरदार निभाया था, जो काफी पसंद किया गया। ये फिल्म 15 अगस्त, 1975 को रिलीज हुई थी।

अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, धर्मेंद्र और हेमा मालिनी स्टारर फिल्म ‘शोले’ भारत के 100 से अधिक सिनेमाघरों में लगभग 25 सप्ताह तक चलती रही। यही नहीं देश के कुछ थियेटर में इस फिल्म को 50 सप्ताह से अधिक समय तक दिखाया गया। दर्शकों को जय-वीरू की जोड़ी काफी पसंद आई।

हालांकि, अमिताभ बच्चन की एंग्री यंग मैन वाली छवि को उसी साल आई फिल्म चुपके चुपके ने तोड़ा। चुपके चुपके एक कॉमेडी फिल्म है। इस फिल्म में धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन की जोड़ी नए अवतार में नजर आई। इसके अलावा शर्मिला टैगोर, जया बच्चन भी थीं। यह फिल्म धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन की कॉमिक एक्टिंग के लिए काफी याद की जाती है। ये फिल्म ऐसे वक्त में आई थी, जब अमिताभ बच्चन एक्शन ड्रामा फिल्मों में निभाए अपने किरदार के लिए दर्शकों की पहली पसंद बने हुए थे।

अमिताभ बच्चन ने चुपके चुपके में सुकुमार सिन्हा नाम का किरदार निभाया था। अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर बने अमिताभ के किरदार को दर्शकों का प्यार मिला। ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘चुपके चुपके’ साल 1975 की बड़ी हिट साबित हुई थी। 1975 में दीवार और शोले के बाद आई फिल्म चुपके चुपके अमिताभ बच्चन की तीसरी सुपरहिट फिल्म थी।

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