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इंदौर में क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी के साथ किया गया डिजिटल अरेस्ट का प्रयास

Digital Arrest Attempt : मध्य प्रदेश के इंदौर में पदस्थ क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने लोगों को डिजिटल अरेस्ट को लेकर जागरूक किया। वह अब तक कई लोगों को इसे लेकर जागरूक कर चुके हैं। उनकी इसी पहल को ध्यान में रखते हुए उन्हें बीते दिनों सम्मानित भी किया जा चुका है।.

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Digital Arrest Attempt : मध्य प्रदेश के इंदौर में पदस्थ क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने लोगों को डिजिटल अरेस्ट को लेकर जागरूक किया। वह अब तक कई लोगों को इसे लेकर जागरूक कर चुके हैं। उनकी इसी पहल को ध्यान में रखते हुए उन्हें बीते दिनों सम्मानित भी किया जा चुका है। हालांकि, एक समय एक ऐसी स्थिति पैदा हो गई, जब वह खुद डिजिटल अरेस्ट के शिकार होने वाले थे।
दरअसल, उनके पास डिजिटल अरेस्ट से जुड़ा एक फोन कॉल आया। इसमें कहा गया कि आपके द्वारा क्रेडिट कार्ड और अन्य माध्यमों से बहुत पैसा निकाला गया, जिसे देखते हुए आरबीआई ने आपके खिलाफ शिकायत दर्ज की है और अब आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होगी। शायद कॉल करने वालों को यह पता नहीं था कि इस बार उन्होंने गलत जगह कॉल कर दिया है।

खाकी वर्दी देखकर फौरन फोन काट किया
इसके बाद एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने इस घटना की जानकारी मीडियाकर्मयिों को भी दी, ताकि इस घटना के बारे में अन्य लोगों को भी पता लग सके। इसके बाद मीडियाकर्मियों के सामने ही एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने उस कॉल करने वाले शख्स को वीडियो कॉल किया। लेकिन, उनकी खाकी वर्दी देखकर कॉल करने वाला इस कदर खौफ में आ गया कि उसने फौरन फोन काट किया।

लोग डिजिटल अरेस्ट के शिकार न बनें
इसके बाद एडिशनल डीसीपी ने मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान स्पष्ट कर दिया कि इस तरह की घटनाओं के प्रकाश में आने के बाद फौरन कार्रवाई की जाएगी। लेकिन, लोग डिजिटल अरेस्ट के शिकार न बनें। इसके लिए जागरूकता ही एकमात्र विकल्प है। हमें लोगों को इसे लेकर बड़े पैमाने पर जागरूक करना होगा। तभी जाकर हम इस तरह की स्थिति से निपट पाएंगे।

बीते दिनों इस तरह के कई मामले प्रकाश में आए थे
बता दें कि डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत मैसेज, ई-मेल और वाट्सएप संदेश के जरिए होती है, जिसमें यह दावा किया जाता है कि कॉल प्राप्त करने वाला व्यक्ति किसी आपराधिक गतिविधि में संलिप्त है। इसके बाद उस पर किसी तय प्रक्रिया के अंतर्गत गुजरने का दबाव डाला जाता है। इसके लिए उससे कुछ विशेष जानकारी मांगी जाती है। ऐसी स्थिति में कॉल करने वाला शख्स कभी खुद को सीबीआई अधिकारी बताता है, तो कभी ईडी का अधिकारी तो कभी किसी अन्य जांच एजेंसी का अधिकारी, ताकि सामने वाले व्यक्ति को यह विश्वास हो सके कि उसके पास किसी विश्वसनीय माध्यम से फोन आया है।

इस तरह से उससे तमाम जानकारी जुटाने के बाद उस पर अंत में एक निश्चित रकम देने का दबाव डाला जाता है और कई बार यह रकम नहीं दिए जाने पर उससे प्राप्त हुई जानकारी का गलत इस्तेमाल किए जाने की धमकी भी दी जाती है। बीते दिनों इस तरह के कई मामले प्रकाश में आए थे। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डिजिटल अरेस्ट पर चिंता जताते हुए इस पर अंकुश लगाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी जताई थी।

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