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Digital Arrest Cyber Crime : डिजिटल अरेस्ट देश के लिए बनी बड़ी चुनौती, धमका कर करते हैं लोगों से वसूली, कैसे बचे साइबर ठगों से, जानिए इस खबर में…

Digital Arrest Cyber Crime : साइबर क्राइम की दुनिया में कुछ न कुछ नया लाकर लोगों से धोखाधड़ी करके मासूमों को अपने जाल में फसाते ही चले आ रहे है। बता दें कि डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी का एक नया रूप है, जिसमें पुलिस या सरकारी अधिकारियों का रूप धारण करके लोगों को धमकाया जाता है.

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Digital Arrest Cyber Crime : साइबर क्राइम की दुनिया में कुछ न कुछ नया लाकर लोगों से धोखाधड़ी करके मासूमों को अपने जाल में फसाते ही चले आ रहे है। बता दें कि डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी का एक नया रूप है, जिसमें पुलिस या सरकारी अधिकारियों का रूप धारण करके लोगों को धमकाया जाता है और पीड़ित से जबरन मनमानी वसूली की जाती है।
सिर्फ सतर्कता एवं जागरूकता ही इस घोटाले से बचने का सबसे बड़ा उपाय है। देश के कानून के लिहाज से किसी भी व्यक्ति या आरोपी से ऑनलाइन पूछताछ का कानून नहीं है। कोई भी एजेंसी आपसे आपका ऑफिसियल रिकॉर्ड नहीं मांग सकती। किसी भी एजेंसी को आपके अकाउंट डिटेल्स या फिर किसी भी तरह आधार कार्ड, पैन वार्ड या व्यक्तिगत जानकारी लेने का अधिकार नहीं है। पुलिस के सलाह के अनुसार इसके अलावा आपके साथ अगर ऐसा कुछ हो रहा है तो तुरंत साइबर सेल से इस बाबत शिकायत करें। साथ ही सारी बातचीत और आरोपियों के स्क्रीन शॉट भी बतौर सबूत लेते रहें।

साइबर घोटाला है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट एक साइबर घोटाला है। डिजिटल अरेस्ट घोटाले में कॉल करने वाले खुद को पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई अधिकारी या दिल्ली, मुंबई पुलिस का अधिकारी बताते हैं। ऐसे में आप उस तथाकथित आरोपी व्यक्ति से सीधे और आत्मविश्वास से बात करें। क्योंकि जब कोई व्हाट्सएप या स्काइप कॉल कनेक्ट होती है तो वह नकली अधिकारी आपको असली लगने लगता है। वह पीड़ित को भावनात्मक और मानसिक रूप से भी प्रताड़ित कर सकता है। वे उन्हें यह बताकर डरा सकते हैं कि उनके परिवार के साथ कुछ बुरा हुआ है। सामने वाला अधिकारी वर्दी में होने के कारण लोग डर जाते हैं और उनके जाल में फंस जाते हैं। सरल शब्दों में कहें तो डिजिटल गिरफ्तारी में फर्जी सरकारी अधिकारी बनकर लोगों को वीडियो कॉल के जरिए धमकाना और उनसे भारी मात्रा में पैसा वसूलते हैं। आपको एक अनजान नंबर से वीडियो कॉल आता है। फोन करने वाला आपको बताएगा कि कोई आपके घर, रिश्ते, या दोस्त कोई किसी वारदात या अपराध में शामिल है या पकड़ा गया है। आपको धमकी देकर वीडियो कॉल पर आने को मजबूर किया जाता है। घोटालेबाज मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग डीलिंग या अन्य अपराधों का आरोप लगाते हैं। फिर आपको धमकाया जाता है कि परिवार में किसी को भी इस बारे में जानकारी नहीं दें। जबकि वीडियो कॉल करने वाले का बैकग्राउंड किसी पुलिस, सीबीआई ऑफिस या फिर जिस विभाग का वह दावा कर रहा होता है, ठीक उसी तरह का होता है। पीड़ित को लगता है कि पुलिस उससे ऑनलाइन पूछताछ कर रही है। केस बंद करने या गिरफ्तारी से बचने के लिए बड़ी रकम की मांग की जाती है। यह पहचानने के लिए सतर्क रहना महत्वपूर्ण है कि डिजिटल गिरफ्तारी हुई है। अगर आपके पास किसी अनजान नंबर से फोन या व्हाट्सएप कॉल आए तो मुंबई पुलिस द्वारा जारी दिशा-निर्देश याद रखें।

पुलिस ने सतर्कता और सुझाव जारी किया है, कि कैसे डिजिटल गिरफ्तारी से बचे

  • कोई भी सरकारी पूछताछ एजेंसी व्हाट्सएप और स्काइप जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग नहीं करती है।
  • संदेह होने पर तुरंत फोन काट दें।
  • दोबारा फोन आने पर इसे नजरअंदाज करें।
  • डिजिटल गिरफ्तारी के लिए जालसाज पीड़ितों को फोन कॉल, ईमेल के जरिए संदेश भेजते हैं।
  • पुलिस अधिकारी कभी भी आपको अपनी पहचान दिखाने के लिए वीडियो कॉल नहीं करते हैं।
  • पुलिस अधिकारी आपसे कभी कोई ऐप डाउनलोड करने के लिए नहीं कहते।
  • पहचान पत्र, एफआईआर कॉपी और गिरफ्तारी वारंट ऑनलाइन साझा नहीं किए जाते हैं।
  • पुलिस अधिकारी कभी भी आवाज या वीडियो कॉल पर गवाही रिकॉर्ड नहीं करते हैं।
  • व्यक्तिगत कॉल पर पैसे या व्यक्तिगत जानकारी की धमकी नहीं देते।
  • कॉल करने के बाद पुलिस व्यक्ति को दूसरों से बात करने से नहीं रोकती और वह रोक भी नहीं सकती है।
  • सबसे जरूरी बात यह है कि कानून में डिजिटल गिरफ्तारी का कोई प्रावधान नहीं है।

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