नेशनल डेस्क : तमिलनाडु के वेल्लोर जिले के कट्टुकोल्लई गांव में उस वक्त हड़कंप मच गया जब वहां रहने वाले करीब 150 परिवारों को एक नोटिस मिला। इस नोटिस में कहा गया था कि जिस जमीन पर वे रह रहे हैं, वह वक्फ संपत्ति है और अब या तो उन्हें जमीन खाली करनी होगी या फिर दरगाह को टैक्स देना होगा। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
कौन भेजा ये नोटिस ?
आपको बता दें कि यह नोटिस सैयद अली सुल्तान शाह नाम के एक व्यक्ति की ओर से जारी किया गया था। उनका दावा है कि यह जमीन एक स्थानीय दरगाह की है, यानी यह मुस्लिम धार्मिक संपत्ति है। गांव वालों को यह सुनकर गहरा झटका लगा, क्योंकि वे इस जमीन पर चार पीढ़ियों से रह रहे हैं और उनकी आजीविका खेती पर ही निर्भर है।
सरकारी दस्तावेज बनाम वक्फ बोर्ड के दावे
गांव वालों ने बताया कि उनके पास सरकार द्वारा जारी किए गए पट्टे और जमीन के कागजात हैं। वहीं, वक्फ बोर्ड का कहना है कि उनके पास भी 1954 के पुराने सरकारी रिकॉर्ड हैं, जो साबित करते हैं कि ये जमीन वक्फ संपत्ति है। ऐसे में विवाद और उलझ गया है।
डर के माहौल में पहुंचे कलेक्टर ऑफिस
नोटिस मिलने के बाद गांव के लोग भारी संख्या में वेल्लोर जिला कलेक्टर के दफ्तर पहुंचे। उनके साथ हिंदू मुन्नानी संगठन के नेता महेश भी थे। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि गांव वालों को सुरक्षा और कानूनी सफाई दी जाए। उनकी जमीन से उन्हें बेदखल ना किया जाए। सरकार उन्हें पट्टा (कानूनी स्वामित्व पत्र) दे ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रहे।
ऐसा ही एक और मामला तिरुचिरापल्ली में भी
यह कोई पहली घटना नहीं है। तिरुचिरापल्ली के तिरुचेंदुरई गांव में भी 480 एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया था। इस जमीन में 1500 साल पुराना चोल वंश का मंदिर भी शामिल था। वहां के लोगों को कहा गया कि वे बिना वक्फ बोर्ड की NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) के अपनी जमीन नहीं बेच सकते।
कितनी जमीन पर है वक्फ बोर्ड का दावा?
1954 के एक सरकारी सर्वे के अनुसार, तमिलनाडु के 18 गांवों में वक्फ बोर्ड की कुल 389 एकड़ जमीन बताई गई है। लेकिन यह जानकारी लोगों को तब पता चली जब वे अपनी जमीन बेचने या नाम बदलवाने बैंक या सरकारी दफ्तर गए। इससे पूरे राज्य में भ्रम और चिंता का माहौल फैल गया।
संसद में उठा मुद्दा, अब बना नया कानून
यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर भी पहुंच चुका है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने भी संसद में इस मुद्दे को उठाया। वक्फ (संशोधन) विधेयक संसद के दोनों सदनों में पास हो चुका है और अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंज़ूरी के बाद यह कानून बन चुका है (5 अप्रैल 2025 को)। इस कानून से जुड़े नियम और उसकी व्याख्या आने वाले समय में और साफ हो सकती है।
तमिलनाडु के इन घटनाओं से साफ है कि वक्फ संपत्ति से जुड़ा विवाद बहुत पेचीदा होता जा रहा है। जब एक ही जमीन पर दो अलग-अलग पक्षों के पास वैध दस्तावेज हों, तो आम लोग कानून की उलझनों में फंस जाते हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह इस तरह के मामलों में साफ-सुथरी जांच और पारदर्शिता के साथ फैसला करे, ताकि गांव वालों की आजीविका और जीवन दोनों सुरक्षित रह सकें।