FAST FOOD : आज के समय में लोग खाने पीने पे ज्यादा जोर देते है। इसलिए लोग जहां पर जो खाने के लिए दिखता है, उस चीज को लोग खाने के लिए टूट पड़ते है। खास बात ये है कि ज्यादा तर लोग हाइजीन पर तो ध्यान ही नहीं देते है। बता दें कि वर्तमान समय में फास्ट फूड, रात में जागने का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। इससे पेट में दर्द के साथ-साथ सूजन, उल्टी, अपच, मतली, भूख न लगना, दस्त, पेशाब के दौरान जलन, कभी-कभी खुत्त और चलने में कठिनाई होती है। अगर ये लक्षण दिखें तो समय रहते डॉक्टर से सलाह लें। डॉक्टर आपको कुछ रक्त जांच, पेशाब जांच और सोनोग्राफी कराने की सलाह देंगे। जरूरत पड़ने पर सीटी स्कैन की सलाह भी दी जाएगी। क्योंकि फास्ट फूड खाने के कारण लीवर में कई तरह की बीमारियां उत्पन्न हो रही है। डॉक्टर कहते है कि पेट दर्द कई बीमारियों के लक्षण होते है, दवा लेने के कुछ ही दिनों में पेट दर्द ठीक हो जाता है, लेकिन कभी-कभी पेट दर्द किसी गंभीर बीमारी की जड़ भी हो सकता है। लगातार पेट दर्द या पीठ के निचले हिस्से में दर्द का होना नजरअंदाज न करें।
बदलती जीवनशैली से अपेंडिक्स की समस्या बढ़ रही है
कई डॉक्टर कहते है कि बदलती जीवनशैली से अपेंडिक्स की समस्या बढ़ रही है। छोटी आंत समाप्त होती है और बड़ी आंत शुरू होती है, जहां आंत का एक पूंछ जैसा हिस्सा बड़ी आंत की शुरुआत में होता है। उसे अपेंडिक्स कहते हैं। नाक पूरी तरह विकसित हो जाने के बाद अपेंडिक्स नहीं बढ़ता है। वहीं इसके लक्षणों में प्रमुख रूप से पेट दर्द के साथ सूजन, उल्टी, अपच, मतली, भूख न लगना, दस्त, पेशाब के दौरान जलन, कभी-कभी पेशाब में खून और चलने में कठिनाई होती है अगर ये लक्षण दिख ता समय रहते डॉक्टर से सलाह लें। इन आयु वर्ग को अधिक खतरा है अपेंडिसाइटिस एक ऐसी समस्या है, जो मुख्य रूप वर्ग में से 8 से 22 वर्ष की आयु होती है। वयस्कों में महिलाओं की तुलना में में पुरुषों में एपेंडिसाइटिस विकसित होने की संभावना अधिक होती है। यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। लगातार कब्ज, पित्त, पेट में संक्रमण से इस छोटी आत में सूजन बनी रहती है। आंतों में संक्रमण, पेट में खराब बैक्टीरिया की अधिकता से अपेंडिक्स में सूजन या उसकी वाहिनी में रुकावट हो सकती है। ज्यादातर मामलों में अपेंडिसाइटिस बच्चों और किशोरों में होता है। अपेंडिसाइटिस से बचाव के लिए फाइबर युक्त भोजन, हरी सब्जियां, सलाद आदि खाएं। खूब सारा पानी पीएं। जंक फूड, धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें।
मसालेदार, तले हुए भोजन से बचें
बदलते लाइफस्टाइल, गलत खान-पान के साथ-साथ पेट संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। मैदा से बनी चीजें, पिज्जा, बर्गर, तले हुए खाद्य पदार्थ, लगातार मांसाहारी खाने से भोजन में मौजूद फाइबर की मात्रा पेट में बहुत कम अवशोषित होती है। यह आंत के माध्यम से भोजन की गति को धीमा कर देता है। यह भोजन सही मार्ग छोड़कर अपेंडिक्स में प्रवेश कर जाता है और अपेंडिसाइटिस का कारण बन सकता है।