नेशनल डेस्क : SCO यानी शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) एक बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 2001 में चीन के शंघाई शहर में हुई थी। इस साल SCO की बैठक चीन में आयोजित किया जा रहा है। भारत की तरफ से इसमें शामिल होने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गए हैं। इस बीच आज हम यह जानते है कि SCO क्या है और इसमें भारत की क्या भूमिका है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
2001 में हुई थी SCO की स्थापना
आपको बता दें कि SCO की स्थापना 2001 में चीन के शंघाई शहर में हुई थी। शुरुआत में इसमें 6 देश – चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल थे। बाद में भारत और पाकिस्तान को 2017 में स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया। इसके साथ ही ईरान भी साल 2017 में इस संगठन का स्थाई सदस्य बन गया।
क्या है इस संगठन का मुख्य उद्देश्य…
-क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखना
-आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से मिलकर लड़ना
-आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना
-आपसी विश्वास और अच्छे संबंध कायम करना
SCO समिट क्या है – साल में एक बार होने वाली अहम बैठक
SCO समिट यानी SCO शिखर सम्मेलन इस संगठन के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों या शीर्ष मंत्रियों की साल में एक बार होने वाली बैठक होती है। इसमें सदस्य देश आपसी मुद्दों पर चर्चा करते हैं जैसे कि आतंकवाद और सुरक्षा, सीमा पार तनाव, व्यापार और ऊर्जा सहयोग और जलवायु और तकनीक पर काम। यह बैठक कभी किसी एक सदस्य देश में आयोजित होती है और इसकी अध्यक्षता हर साल बदलती रहती है।
भारत की भूमिका शांतिपूर्ण लेकिन सक्रिय भागीदारी
भारत SCO का एक महत्वपूर्ण सदस्य देश है। भारत की भूमिका इस संगठन में तीन मुख्य स्तरों पर देखी जाती है।
1. सुरक्षा के मोर्चे पर सक्रिय
भारत आतंकवाद के खिलाफ हमेशा सख्त रुख अपनाता है। वह SCO मंच का उपयोग उन देशों पर दबाव बनाने के लिए करता है जो आतंकवाद को समर्थन या पनाह देते हैं, जैसे पाकिस्तान। भारत यह भी चाहता है कि SCO सिर्फ औपचारिक बैठकों तक न रहे, बल्कि ज़मीनी स्तर पर भी आतंक के खिलाफ ठोस कदम उठाए।
2. आर्थिक और व्यापारिक हित
भारत मध्य एशियाई देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है। SCO भारत को ईरान, रूस और मध्य एशिया के साथ ऊर्जा, ट्रांसपोर्ट और व्यापार के रास्ते खोलने में मदद करता है।
3. राजनयिक और रणनीतिक संतुलन
भारत SCO में रहते हुए चीन और रूस जैसे बड़े देशों के साथ रणनीतिक संतुलन बनाता है, लेकिन वह अपने स्वतंत्र विचार और राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करता। जैसे कि हाल ही में राजनाथ सिंह का संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर से इनकार करना—यह भारत की स्पष्ट विदेश नीति को दर्शाता है।
भारत क्यों है SCO के लिए अहम
भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था, प्रभावशाली सैन्य शक्ति, और तकनीकी रूप से उन्नत देश है। उसका लोकतांत्रिक ढांचा और वैश्विक प्रभाव SCO में उसे एक अलग पहचान देता है। भारत का मानना है कि सहयोग के साथ-साथ आत्मसम्मान भी जरूरी है, इसलिए वह आतंकवाद या दोहरे मापदंड पर चुप नहीं बैठता।
भारत का रुख स्पष्ट और संतुलित
SCO एक ऐसा मंच है जहाँ भारत अपने क्षेत्रीय और वैश्विक हितों को ध्यान में रखते हुए सहयोग और सख्ती का संतुलन बनाए रखता है। भारत न केवल संगठन की कार्यप्रणाली को सशक्त बनाता है, बल्कि उसमें नैतिक और व्यवहारिक नेतृत्व भी दिखाता है। SCO के भविष्य में भारत की भूमिका और भी अधिक निर्णायक हो सकती है, खासकर सुरक्षा और आर्थिक मामलों में।