अमेरिका और जापान की बुरी हरकतों को दर्शाता फुकुशिमा “फ़ूड एंड ब्रॉडकास्ट” शो

  31 अगस्त को, जापान में अमेरिकी राजदूत रहम एमानुएल ने जापान के परमाणु-दूषित जल निर्वहन के समर्थन में समुद्री भोजन खाने के लिए फुकुशिमा की विशेष यात्रा की। इतना ही नहीं, उन्होंने जापानी मीडिया के लिए एक लेख भी लिखा, जिसमें उन्होंने चीन के उचित जवाबी कदमों पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी की और यहां तक.

 

31 अगस्त को, जापान में अमेरिकी राजदूत रहम एमानुएल ने जापान के परमाणु-दूषित जल निर्वहन के समर्थन में समुद्री भोजन खाने के लिए फुकुशिमा की विशेष यात्रा की। इतना ही नहीं, उन्होंने जापानी मीडिया के लिए एक लेख भी लिखा, जिसमें उन्होंने चीन के उचित जवाबी कदमों पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी की और यहां तक ​​कि “समुद्री पर्यावरण को नष्ट करने” के लिए चीन की निंदा भी की।

अमेरिका जापान का समर्थन करने में इतनी कड़ी मेहनत क्यों कर रहा है? वास्तव में, अमेरिका ने स्वयं अपने स्वार्थ के लिए महासागर में बहुत अधिक “जहर” घोलने का काम किया है। अमेरिकी “लॉस एंजिल्स टाइम्स” ने एक बार खुलासा किया था कि अमेरिकी सेना ने बड़ी मात्रा में रासायनिक पदार्थों को समुद्र में फेंका था। साल 1944 से साल 1970 तक, अमेरिकी सेना ने 29 हज़ार टन तंत्रिका गैस और सरसों गैस एजेंटों और 500 टन से अधिक रेडियोधर्मी परमाणु कचरे को समुद्र में फेंका था।

उधर, ब्रिटिश अख़बार “गार्जियन” ने इस साल मार्च में खुलासा किया था कि अमेरिका में कैलिफोर्निया की औद्योगिक कंपनियों ने कई वर्षों से कीटनाशक डीडीटी सहित जहरीले रासायनिक कचरे को पास के समुद्र में फेंका था। ये पदार्थ मानव शरीर, जानवरों और पर्यावरण के लिए गंभीर नुकसानदायक हैं और इसके उपयोग पर अमेरिका और अन्य देशों ने बैन लगा रखा है।

इसके अलावा, अमेरिका वैश्विक समुद्री प्लास्टिक कचरे का मुख्य “निर्माता” भी है। अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक पत्रिका “साइंस एडवांसेज” की शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका ने अकेले साल 2016 में 4.2 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा किया था, जो दुनिया में बहुत आगे है। उनमें से केवल 9 प्रतिशत का ही पुनर्चक्रण किया गया, और लगभग 15 लाख टन प्लास्टिक कचरा सीधे नदियों, झीलों और समुद्री तटों में छोड़ दिया गया, और इसके समुद्र में बह जाने की संभावना है।

गौर किया जाए, तो अमेरिका द्वारा जापान का परमाणु प्रदूषित-पानी को समुद्र में छोड़ने का समर्थन आर्थिक हितों और भू-राजनीतिक हितों के आदान-प्रदान से संबंधित है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, अमेरिका ने सैन्य और नागरिक उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग करने की नीति अपनाई, और फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र जापान में नागरिक उपयोग के लिए अमेरिकी परमाणु प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली पहली परियोजना थी।

आज, अमेरिका और जापान अभी भी नागरिक परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं में विभिन्न तरीकों से सहयोग कर रहे हैं।
साल 2011 में फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना के बाद, अमेरिका और जापान आपदा के बाद पुनर्निर्माण के लिए एक समझौते पर पहुंचे, जिसमें अमेरिकी परमाणु ऊर्जा आयोग और ऊर्जा विभाग आदि द्वारा जापान को तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ सैन्य पारस्परिक सहायता परियोजनाएं भी शामिल हुईं।

जापान अमेरिका की शक्ति का उपयोग कर समुद्र में परमाणु प्रदूषित-पानी को छोड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करना चाहता है। वहीं, अमेरिका इसका अवसर लेते हुए जापान में अपना सैन्य आधिपत्य बनाए रखता है।
तथ्यों के सामने, अमेरिकी राजदूत का फुकुशिमा “फ़ूड एंड ब्रॉडकास्ट” शो समुद्र को नष्ट करने में अमेरिका और जापान की बुरी हरकतों को दर्शाता है। क्षेत्रीय देशों को उच्च सतर्कता बनायी रखनी चाहिए।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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