गंभीर हो रहे वैश्विक जलवायु परिवर्तन के लिए मनुष्य को सहयोग करना चाहिए

2022 में ख़राब मौसम और प्राकृतिक आपदाएं दुनिया भर में बार-बार पैदा हुईं, जो पृथ्वी की पारिस्थितिकी के लिए खतरे की घंटी है। जलवायु परिवर्तन का संकट दुनिया के सामने होता जा रहा है। वह अब भविष्य की चुनौती नहीं है, बल्कि एक तात्कालिक खतरा है। कोई भी देश, चाहे विकसित हो या विकासशील, इससे.

2022 में ख़राब मौसम और प्राकृतिक आपदाएं दुनिया भर में बार-बार पैदा हुईं, जो पृथ्वी की पारिस्थितिकी के लिए खतरे की घंटी है। जलवायु परिवर्तन का संकट दुनिया के सामने होता जा रहा है। वह अब भविष्य की चुनौती नहीं है, बल्कि एक तात्कालिक खतरा है। कोई भी देश, चाहे विकसित हो या विकासशील, इससे बाहर नहीं रह सकता है। जलवायु परिवर्तन पूरी मानव जाति के लिए एक आम खतरा है। जलवायु परिवर्तन से संयुक्त रूप से निपटने का एकमात्र तरीका सहयोग है। हालांकि, कुछ विकसित देश अतीत में बड़ी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों और इससे विकासशील देशों को पहुंचे नुकसानों की उपेक्षा करते रहे हैं, व्यापक विकासशील देशों के आर्थिक, ऊर्जा आदि विकास अधिकारों और व्यावहारिक जरूरतों की अवहेलना करते हैं। और यहां तक ​​कि उन्होंने अनुचित रूप से अफ्रीकी देशों से कार्बन उत्सर्जन में कमी के बराबर दायित्वों को पूरा करने की मांग की, जिन का कुल कार्बन उत्सर्जन दुनिया का सिर्फ 3 प्रतिशत हिस्सा है। चीन हमेशा समान पर अंतर वाली जिम्मेदारी लेने के सिद्धांत का पालन करने और विकास के ढांचे के भीतर जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने की  वकालत करता है।

इस साल के नवंबर में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क संधि के हस्ताक्षरकर्ताओं का 27वां सम्मेलन (कोप27) मिस्र के शर्म अल शेख में आयोजित हुआ। लगभग 200 देशों के प्रतिनिधियों ने एकत्र होकर जलवायु परिवर्तन के वैश्विक मुकाबले पर चर्चा की। दो सप्ताह के परामर्श और वार्ता के बाद इस सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण परिणाम निकला विभिन्न देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जलवायु आपदाओं से प्रभावित कमजोर विकासशील देशों का समर्थन करने के लिए  नुकसान और क्षति कोष की स्थापना पर सहमति जतायी। इस कोष की स्थापना को  अंतरराष्ट्रीय मंच पर विकासशील देशों द्वारा एकजुटता और सहयोग के जरिए संबंधित पक्षों से समझौता मांगने में प्राप्त सकारात्मक परिणामों में से एक माना जाता है। वर्तमान में, कई विकसित देश भू-राजनीतिक संघर्षों और ऊर्जा संकट से प्रभावित हैं, और जलवायु कार्रवाई उलट गई है। हालांकि, सबसे बड़े विकासशील  देश के रूप में चीन अभी भी जलवायु परिवर्तन का सक्रिय रूप से  काबला करने के रणनीतिक दृढ़ संकल्प बनाए रखता है।

इस साल आयोजित चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से कहा कि चीन जलवायु परिवर्तन के वैश्विक शासन में सक्रिय रूप से भाग लेता रहेगा, और भविष्य में जलवायु कार्रवाई और जलवायु परिवर्तन के वैश्विक शासन को बढ़ाने के लिए स्पष्ट तैनाती की गयी। चीन हमेशा बहुपक्षवाद का पालन करता है और संयुक्त रूप से एक निष्पक्ष, उचित, सहयोग और उभय जीत वाली वैश्विक जलवायु शासन प्रणाली के निर्माण की वकालत करता है। जून 2022 तक, चीन ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग के ढांचे के तहत 38 विकासशील देशों के साथ 43 जलवायु परिवर्तन सहयोग दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं, 28 देशों को 37 जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन परियोजनाओं को लागू करने में मदद की है, और जलवायु परिवर्तन के मुकाबले व ऊर्जा की बचत के लिए 100 से अधिक प्रशिक्षण कोर्स आयोजित किये और 4,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षण दिया। चीन ने संयुक्त रूप से बेल्ट एंड रोड का सहनिर्माण करने वाले देशों में स्वच्छ ऊर्जा के विकास और उपयोग का समर्थन करने के लिए सिलसिलेवार हरित कार्रवाई पहलों को लागू किया।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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