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266 भारतीय नागरिकों की हुई सुरक्षित वापसी, इस वजह से गए थे विदेश

नेशनल डेस्क : आजकल विदेशों में नौकरी की तलाश में बहुत से लोग आसानी से झांसे में आ जाते हैं, और इसके परिणामस्वरूप वे मुश्किलों में फंस जाते हैं। ऐसे ही 266 भारतीय नागरिकों को भारत सरकार ने वापस लाया, जो नौकरी के झांसे में आकर विदेशों में फंस गए थे। यह जानकारी विदेश मंत्रालय.

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नेशनल डेस्क : आजकल विदेशों में नौकरी की तलाश में बहुत से लोग आसानी से झांसे में आ जाते हैं, और इसके परिणामस्वरूप वे मुश्किलों में फंस जाते हैं। ऐसे ही 266 भारतीय नागरिकों को भारत सरकार ने वापस लाया, जो नौकरी के झांसे में आकर विदेशों में फंस गए थे। यह जानकारी विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दी। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…

भारतीय वायुसेना से वापस लाए गए नागरिक

आपको बता दें कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि भारत सरकार ने 266 भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए भारतीय वायुसेना के विमान का उपयोग किया। इन नागरिकों को दक्षिण-पूर्व एशिया के साइबर अपराध केंद्रों से रिहा किया गया था। ये लोग फर्जी नौकरी के जाल में फंसकर वहां फंसे थे। इस अभियान से पहले, सोमवार को भी 283 भारतीयों को वापस लाया गया था।

भारत सरकार का संयुक्त प्रयास

रणधीर जायसवाल ने आगे बताया कि भारतीय दूतावास ने म्यांमार और थाईलैंड सरकारों के साथ मिलकर इन नागरिकों की रिहाई सुनिश्चित की और उन्हें भारत वापस लाने के लिए पूरी मदद दी। इन देशों के साथ समन्वय करके, उन्हें स्वदेश लाने की प्रक्रिया को पूरा किया गया।

विदेश मंत्रालय की सलाह

विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को सलाह दी है कि वे विदेश में नौकरी की पेशकश स्वीकार करने से पहले संबंधित देशों के मिशनों के माध्यम से नियोक्ता की साख की पुष्टि करें।अपनी सलाह दोहराते हुए, विदेश मंत्रलय ने भारतीय नागरिकों से सावधानी बरतने का आग्रह किया। मंत्रलय ने विदेश में भारतीय मिशनों के जरिए विदेशी नियोक्ताओं की साख को सत्यापित करने और विदेशी नौकरी के अवसरों को स्वीकार करने से पहले भर्ती एजेंटों और कंपनियों की पूरी तरह से जांच करने के महत्व पर जोर दिया।

दक्षिण-पूर्व एशिया का गोल्डन ट्रायंगल क्षेत्र…

भारत सरकार ने अपने नागरिकों को अज्ञात स्नेतों से आने वाले अनचाहे नौकरी के प्रस्तावों के खतरों के बारे में बार-बार आगाह किया है, क्योंकि इनमें से कई मामलों में व्यक्तियों का शोषण हुआ है और उन्हें अवैध गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया है। दक्षिण-पूर्व एशिया का गोल्डन ट्रायंगल क्षेत्र, जहां थाईलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमाएं मिलती हैं, साइबर अपराध का प्रमुख केंद्र बन चुका है। यहां पर कई फर्जी कॉल सेंटर चलाए जाते हैं, जो साइबर फ्रॉड को अंजाम देते हैं।

यह घटना भारतीय नागरिकों के लिए एक अहम चेतावनी है कि उन्हें नौकरी के लिए विदेश जाते समय पूरी सतर्कता बरतनी चाहिए। विदेशी नियोक्ताओं और भर्ती एजेंटों की साख की जांच करना बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के धोखाधड़ी से बचा जा सके। भारत सरकार लगातार इस तरह के मामलों में हस्तक्षेप कर रही है, ताकि भारतीय नागरिकों को सुरक्षित रखा जा सके।

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