चीन और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना का 75वां साल चल रहा है। ऐसे में यह उम्मीद करना बेमानी नहीं होगा कि इस मौके पर दोनों देश अपने आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को और बेहतर करने की कोशिश कर सकते हैं। वैसे सही मायने में कहें तो यह कोशिश हो भी रही है। चीन की राजधानी पेइचिंग में भारत और चीन की उच्चस्तरीय बैठक को इसी नजरिए से देखा जाना चाहिए। इस बैठक में भारत और चीन ने अपने संबंधों को बेहतरी की दिशा में ले जाने और आपसी द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के कई बिंदुओं पर सहमति जताई।
भारत और चीन के रिश्ते की सांस्कृतिक डोर बौद्ध धर्म और कैलाश मानसरोवर से जुड़ी हुई है। कैलाश मानसरोवर हिंदुओं के त्रिदेव के एक रूप भगवान शंकर का निवास स्थान है। वहीं बौद्ध धर्म भारत से ही चीन पहुंचा। अतीत में चीन के विद्यार्थी भारत के बिहार स्थित नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ने आते रहे हैं। कैलाश मानसरोवर की यात्रा भारतीयों के लिए प्रमुख तीर्थ यात्रा रही है। पिछले कुछ वर्षों से यह बंद है। आशा है कि इसे शुरू हो सकती है। पेइचिंग में हुई दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय बैठक में इस मुद्दे पर भी चर्चा की ।
किन्हीं भी दो देशों के बीच सिर्फ राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों के बेहतर होने से बात नहीं बनती। अव्वल तो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक संबंध भी बेहतर होने चाहिए। चीन और भारत- दोनों ही देश इसे समझ रहे हैं। पेइचिंग बैठक में दोनों देशों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी संवाद व्यवस्था को मजबूत करने पर सहमति बनी। इसमें तय हुआ है कि दोनों देशों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ावा देने के लिए सबसे जरूरी है कि दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें बहाल की जाएं। वहीं दोनों देशों के मीडिया और वैचारिक यानी थिंक टैंक के बीच भी संवाद को बढ़ावा देना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी भी देश की राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों की मजबूत बुनियाद उन देशों के वैचारिक लोगों के सार्थक संवाद से भी तैयार होती है।
कह सकते हैं कि दोनों देश इसे समझ रहे हैं और इस दिशा में भी आगे बढ़ने की सोच रहे हैं। सबसे अहम बात यह है कि दोनों देश आपसी कूटनीतिक रिश्तों की 75वीं सालगिरह को धूमधाम से मनाने पर भी सहमत होते नजर आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय वैचारिक आदान-प्रदान की गति को बनाए रखने पर भी सहमति बनती नजर आ रही है। वैसे दोनों देशों की बीच छात्रों का आदान-प्रदान कम है। इस दिशा में भी दोनों देशों को काम करना चाहिए।
इसमें दो राय नहीं कि भारत और चीन के बीच व्यापार और आर्थिक संबंध तेज़ी से बढ़ रहे हैं। साल 2023 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 136.2 अरब अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया। भारत की कई कंपनियां चीन में फ़ार्मास्यूटिकल्स और विनिर्माण के क्षेत्र में कारोबार कर रही हैं। वहीं, चीन की कई कंपनियां भारत में बुनियादी ढांचे और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में कारोबार कर रही हैं। इसी तरह दोनों देशों के रिश्ते बेहतरी की पटरी पर आते रहे तो दोनों देश अक्षय ऊर्जा, डिजिटल प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढाँचे के विकास जैसे क्षेत्रों में गहन भागीदारी से लाभ उठा सकते हैं। वित्त वर्ष 2024 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ वित्त वर्ष 2023 में 113.83 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 118.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 24 में, चीन दो साल के अंतराल के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए एक बार फिर भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार बन गया है।
बाकी मामलों से इतर, भारत और चीन के आर्थिक रिश्ते लगातार बेहतरी की ओर हैं। वित्त वर्ष 2024 में भारत के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 15.06% थी। भारत ने दुनिया से 675.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सामान आयात किया, जिसमें चीन से 101.74 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सामान शामिल है। अप्रैल 2000 से सितम्बर 2024 तक 2.50 बिलियन अमेरिकी डॉलर की संचयी एफडीआई राशि के साथ चीन भारत में एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 22वें स्थान पर है। पिछले एक दशक में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार चार गुना बढ़ गया है। भारत-चीन व्यापार लगातार तीसरे वर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया, जो वित्त वर्ष 24 में 118.40 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।
पिछले कुछ वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि के साथ, कई भारतीय कंपनियों ने चीन में अपने भारतीय और बहुराष्ट्रीय ग्राहकों की सेवा के लिए चीनी परिचालन स्थापित करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा, 100 से अधिक चीनी कंपनियों ने भारत में कार्यालय/संचालन स्थापित किए हैं। मशीनरी और बुनियादी ढांचे के निर्माण के क्षेत्र में कई बड़े चीनी नामों ने भारत में परियोजनाएं जीती हैं और भारत में परियोजना कार्यालय खोले हैं।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग) (लेखक— उमेश चतुर्वेदी)