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अमेरिका ने 158 साल पहले खरीदा था अलास्का, अब ग्रीनलैंड के लिए देनी पड़ेगी इतनी रकम, ट्रंप को क्यों है इसकी जरुरत ?

वाशिंगटन: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर डेनमार्क के स्वशासित क्षेत्र और दुनिया के सबसे बड़े द्वीप ग्रीनलैंड को खरीदने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने 2019 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी इस मुद्दे पर विचार किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की।

ऐसा बिल्कुल नहीं है कि अमेरिका ने पहले कोई क्षेत्र नहीं खरीदा हो। देश के सबसे बड़े राज्य अलास्का को वाशिंगटन ने 1867 में रूस से खरीदा था। अलास्का और ग्रीनलैंड दोनों ही क्षेत्रों में ठंडी जलवायु, कम जनसंख्या घनत्व, रणनीतिक लोकेशन और तेल भंडार हैं। 586,412 वर्ग मील वाले अलास्का की कीमत तब 7.2 मिलियन डॉलर थी, जो आज लगभग 153.5 मिलियन डॉलर है।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 836,000 वर्ग मील में फैले ग्रीनलैंड की कीमत अलास्का की समायोजित कीमत से 50 अधिक होने के आधार पर अनुमानित 230.25 मिलियन डॉलर हो सकती है।

अमेरिका पहले भी ग्रीनलैंड को खरीदने की संभावनाओं पर विचार कर चुका है। 1946 के अमेरिकी प्रस्ताव में ग्रीनलैंड को 100 मिलियन डॉलर के सोने के बदले खरीदने पर विचार किया गया था, जो आज के 1.6 बिलियन डॉलर से अधिक के बराबर है।

अमेरिका ने 1917 में डेनमार्क से यूएस वर्जिन आइलैंड्स को 25 मिलियन डॉलर के सोने (आज के हिसाब से लगभग 616.2 मिलियन डॉलर) में खरीदा था। 1803 में फ्रांस से लुइसियाना को 15 मिलियन डॉलर (आज के हिसाब से लगभग 418.8 मिलियन डॉलर) में खरीदा था। ग्रीनलैंड की जीडीपी 2021 में 3.24 बिलियन डॉलर थी।

हालांकि, ग्रीनलैंड को खरीदने की वास्तविक कीमत को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। अमेरिकी संविधान के तहत फंडिंग के लिए कांग्रेस की मंजूरी की जरुरत होगी।

ग्रीनलैंड में अमेरिकी दिलचस्पी के कई कारण हो सकते हैं। यह द्वीप उत्तरी अमेरिका से यूरोप तक के सबसे छोटे मार्ग पर स्थित है। इसमें दुर्लभ खनिजों के कुछ सबसे बड़े भंडार हैं, जो बैटरी और उच्च तकनीक वाले उपकरणों के निर्माण में महत्वपूर्ण हैं। ग्रीनलैंड में एक बड़ा अमेरिकी सैन्य अड्डा है।

20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने वाले ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि वह ग्रीनलैंड को संयुक्त राज्य अमेरिका में मिलाने के लिए डेनमार्क के खिलाफ सैन्य या आर्थिक उपायों के इस्तेमाल की संभावना को खारिज नहीं करेंगे।

ट्रंप के मुताबिक यह द्वीप चीनी और रूसी जहाजों पर नजर रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं जो आजकर हर जगह नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि हमें आर्थिक सुरक्षा के लिए इसकी जरुरत है।

एक बड़ा सवाल यह है कि क्या ग्रीनलैंड को खरीदना इतना आसान है भी?

2019 में, ट्रंप ने डेनमार्क की अपनी यात्रा रद्द कर दी थी। दरअसल प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने अमेरिका के ग्रीनलैंड खरीदने के विचार को खारिज कर दिया था।

57,000 की आबादी वाला ग्रीनलैंड 600 वर्षों से डेनमार्क का हिस्सा रहा है। अब वह डेनिश क्षेत्र के भीतर एक अर्ध-संप्रभु क्षेत्र के रूप में अपने अधिकांश आंतरिक मामलों का प्रबंधन करता है।

डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने डेनिश टीवी से कहा कि ग्रीनलैंड, ग्रीनलैंड के लोगों का है और केवल स्थानीय आबादी ही इसके भविष्य का निर्धारण कर सकती है। उन्होंने कहा कि ग्रीनलैंड बिक्री के लिए नहीं है, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि डेनमार्क को नाटो सहयोगी अमेरिका के साथ घनिष्ठ सहयोग की जरुरत है।

ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एगेड ने भी स्पष्ट किया है कि ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है। हालांकि वह ग्रीनलैंड की डेनमार्क से आजादी के समर्थक हैं।

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