American journalist: अमेरिकी हास्य अभिनेता और पत्रकार ली कैम्प ने हाल में चीन के शीत्सांग (तिब्बत) स्वायत्त प्रदेश का दौरा किया। उन्हें ऐसा लगता है जैसे उनसे हमेशा झूठ बोला गया है।
ली कैम्प ने कहा कि शीत्सांग में हर व्यक्ति आराम और स्वतंत्रता से घूमता है, कोई गुलाम नहीं है। ल्हासा एक आधुनिक शहर है। कुछ इमारतें अमेरिका के प्रमुख शहरों की इमारतों के बराबर हैं। सड़क पर इधर उधर इलेक्ट्रिक वाहन देखने में मिलते हैं।
ली कैम्प ने कहा कि वर्ष 1959 से पहले शीत्सांग में सचमुच गुलाम और भूदास मौजूद थे। उस समय शीत्सांग सामंती काल में था। लेकिन 28 मार्च 1959 को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में शीत्सांग में लोकतांत्रिक सुधार किया गया। तब से सामंती भूदास प्रथा रद्द कर दी गई। शीत्सांग में लोगों की औसत जीवन प्रत्याशा 40 वर्ष से बढ़कर अब 70 वर्ष से अधिक हो गई है।
ली कैम्प ने यह भी कहा कि शीत्सांग में 1,787 बौद्ध स्थल हैं। मंदिरों में 46,000 से अधिक भिक्षु और भिक्षुणियां रहते हैं। वहीं, शीत्सांग में 4 मस्जिदें और 12,000 मुसलमान हैं। यहां तक कि एक कैथोलिक चर्च भी है। इधर-उधर श्रद्धालु उपासक, देसी-विदेशी पर्यटक और स्थानीय निवासी देखने को मिलते हैं। तथाकथित सांस्कृतिक नरसंहार कभी नहीं देखा गया।
ली कैम्प ने कहा कि शीत्सांग में लोग तिब्बती और हान भाषा में बातचीत करते हैं। सड़कों पर प्रतीक चिन्ह भी इन दो भाषाओं में लिखे हुए हैं। संग्रहालय में प्राचीन अवशेषों से भी साबित हुआ है कि शीत्सांग प्राचीन काल से ही चीन का एक भाग रहा है। मजेदार बात यह है कि अमेरिका में दुनिया की सबसे बड़ी जेल वाली आबादी है, लेकिन खुद को एक स्वतंत्र देश कहता है। शायद अमेरिका “स्वतंत्रता” शब्द का सही अर्थ पूरी तरह नहीं समझता।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)