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समावेशी, टिकाऊ अर्थव्यवस्था बनाने के तरीके खोजने में एपेक के सदस्य देशों ने मिलकर किया है काम : Joe Biden

सैन फ्रांसिस्कोः अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुक्रवार को कहा कि एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) के सदस्य देशों के नेताओं ने एशिया प्रशांत के लिए समावेशी, लचीली और टिकाऊ अर्थव्यवस्था बनाने के तरीके खोजने के लिए मिलकर काम किया है। जाे बाइडेन यहां वार्षिक ‘लीडरशिप समिट’ के समापन पर बोल रहे थे। ‘एपेक लीडरशिप समिट’ की मेजबानी अमेरिकी राष्ट्रपति जाे बाइडेन द्वारा की गई, जिसमें चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, चिली, पेरू, इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम और हांगकांग सहित एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों के नेताओं ने भाग लिया। अगला शिखर सम्मेलन 2024 में पेरू में होगा।

जाे बाइडेन ने कहा, कि हमने मिलकर जलवायु संकट के सबसे बुरे प्रभावों को रोकने के लिए काम करने की योजना बनाई है। जाे बाइडेन ने कहा कि अमेरिकी कंपनियों ने एपेक अर्थव्यवस्थाओं में समुद्र में नये केबल बिछाने, ऊर्जा ग्रिड को ‘डीकाबरेनाइज’ करने और दक्षिण प्रशांत में इतिहास के सबसे बड़े अमेरिकी एयरलाइन विस्तार को पूरा करने के लिए 500 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश की घोषणा की है। जाे बाइडेन ने कहा, एपेक के 13 साझेदारों के साथ, हमने आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने, हमारे स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में तेजी लाने और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए अपनी तरह के पहले समझौते के साथ हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे पर भी ऐतिहासिक प्रगति की है।’’

उन्होंने कुछ ऐसे क्षेत्रों को रेखांकित किया जिसके बारे में उनका मानना था कि एपेक और भी अधिक काम कर सकता है। जाे बाइडेन ने टिकाऊ अर्थव्यवस्था में महिलाओं की पहल की घोषणा करते हुए कहा, कि ‘पहला, समावेशी विकास। जब हमारी अर्थव्यवस्थाओं में हर किसी को योगदान करने का मौका मिलता है, तो हर किसी को उचित मौका मिलता है, और हम सभी बेहतर करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस पहल में भागीदार पहले ही वन प्रबंधन, स्वच्छ ऊर्जा, मत्स्य पालन और पुनर्चक्रण जैसे हरित उद्योगों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 90 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक का वादा कर चुके हैं।

जाे बाइडेन ने कहा कि उन्होंने और उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग ने कृत्रिम मेधा के प्रभाव और उन्हें इस पर कैसे काम करना है, इस पर संक्षिप्त चर्चा की हैं। उन्होंने कहा, कि ‘एक साथ मिलकर, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बदलाव बेहतरी के लिए हो। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कृत्रिम मेधा जैसी डिजिटल तकनीकों का उपयोग हमारे लोगों की क्षमता को सीमित करने के लिए नहीं, बल्कि उत्थान के लिए किया जाए।’’

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