APEC Summit : दुनिया की करीब दो तिहाई अर्थव्यवस्था वाले देशों के प्रतिनिधि संगठन एपेक के वरिष्ठ अधिकारी, मंत्री और नेता जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ ऊर्जा समाधान जैसे आज के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा के लिए पेरू की राजधानी लीमा में जुटा हुआ है। इस बैठक में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों से निपटने को लेकर भी विचार हो रहा है। इस बैठक में सदस्य देशों के नेताओं और अधिकारियों ने डिजिटल अर्थव्यवस्था के जरिए हो रहे परिवर्तन और बढ़ती व्यापार सुविधाओं पर भी बात की। इस दौरान सदस्य देशों के नेता और मंत्री उन नीतियों पर भी चर्चा करते रहे, जिनसे नवाचार और समावेशी विकास को बढ़ावा मिले।
इस बैठक में प्राथमिकता वाले विषय रहे,
- समावेशी और आपसी विकास के लिए व्यापार और निवेश को बढ़ावा
इसके तहत सदस्य देशों के बीच व्यापार को अधिक खुला, न्यायसंगत, पारदर्शी और समावेशी बनाने के साथ ही विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने वाली जरूरी परिस्थितियों के निर्माण पर फोकस करना रहा।
- औपचारिक और वैश्विक अर्थव्यवस्था में परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए नवाचार और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनौपचारिक से औपचारिक भागीदारी में बदलाव लाना और इसके जरिए कमजोर आर्थिक क्षेत्रों को सशक्त बनाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना।
- लचीले विकास के लिए सतत विकास के लिए नवीकरणीय और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देकर और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करके एक उचित ऊर्जा परिवर्तन को आगे बढ़ाने के प्रयासों को तेज करना।
एपेक 2024 के अध्यक्ष और राजदूत कार्लोस वास्केज़ के अनुसार, “इस साल की बैठक के मेजबान के रूप में, पेरू के पास स्थिरता, लचीलेपन और डिजिटल समावेशन पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्र के लोगों के साथ जुड़े मुद्दों पर बातचीत बढ़ाने का एक अमूल्य अवसर है।” कहना न होगा कि दक्षिण अमेरिकी देश पेरू ने इस दिशा में इस बैठक के दौरान बेहद सधे हुए तरीके से कदम बढ़ाए हैं। इस बैठक के जरिए पेरू ने संदेश दिया है कि दक्षिण अमेरिकी देशों में वह खास हैसियत रखता है।
इस बैठक में पेरू के स्थानीय कारोबारियों को भी शामिल किया गया। इसके साथ ही सदस्य देशों के कारोबारियों और दूसरे प्रमुख क्षेत्रों के लोगों को भी शामिल किया गया। इस बैठक के दौरान बीते 11 और 12 नवंबर को, एपेक के वरिष्ठ अधिकारियों ने आपसी व्यापार और विकास के साथ ही साझा नीति बनाने के साथ ही इनके कार्यान्वयन के लिए व्यवस्था बनाने को लेकर विचार किया। इस बैठक में एपेक देशों की प्रमुख कंपनियों के सीईओ भी शामिल हुए। इसका मकसद एपेक देशों के नेताओं और व्यापार प्रमुखों के बीच खुले संवाद को बढ़ावा देना रहा। यह बैठक 14 और 15 नवंबर को हुई। इस बैठक के दौरान 13 नवंबर को एपेक लघु और मध्यम उद्यम शिखर सम्मेलन भी हुआ। जिसके जरिए क्षेत्र के छोटे और मध्यम उद्योगों के विकास और चुनौतियों को लेकर चर्चा हुई।
एपेक सचिवालय के कार्यकारी निदेशक डॉ. रेबेका स्टा मारिया का मानना है कि चूंकि एपेक देशों की अर्थव्यवस्थाओं का नेटवर्क बेहद जटिल है, जो कई स्तरों पर एक-दूसरे से अलग हैं तो जुड़ी हुई भी हैं, इसलिए एपेक समूह के देशों की अर्थव्यवस्थाओं को अलग रखकर ना तो कोई नीति बनाई जा सकती है और ना ही उन्हें विकास की पटरी पर दौड़ाया जा सकता है। शायद यही वजह रही कि लीमा बैठक में सबको साथ लेकर चलने वाले विकास मॉडल पर विचार किया गया। यहां यह बताना जरूरी है कि एपेक देशों का संगठन सदस्य देशों को आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए आपसी प्रतिबद्धता, लचीलेपन और सतत विकास पर रणनीतिक फोकस के जरिए सार्थक नतीजों के लिए बेहतर मंच देती है। एपेक देशों की कुल जनसंख्या करीब तीन अरब है, जो एशिया और प्रशांत क्षेत्र में फैली हुई है।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग) (लेखक- उमेश चतुर्वेदी)