‘‘मुझ पर हमला करें..स्वतंत्रता सेनानियों पर नहीं’’ : Ro Khanna

वाशिंगटनः अमेरिकी सांसद रो खन्ना अपने दिवंगत नाना अमरनाथ विद्यालंकार के समर्थन में आगे आए हैं जिनकी आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का समर्थन करने के लिए हाल ही में सोशल मीडिया पर आलोचना की गई थी। खन्ना ने कहा, कि ‘मुझ पर हमला करें, भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर हमला नहीं करें।’’.

वाशिंगटनः अमेरिकी सांसद रो खन्ना अपने दिवंगत नाना अमरनाथ विद्यालंकार के समर्थन में आगे आए हैं जिनकी आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का समर्थन करने के लिए हाल ही में सोशल मीडिया पर आलोचना की गई थी। खन्ना ने कहा, कि ‘मुझ पर हमला करें, भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर हमला नहीं करें।’’ पिछले हफ्ते डेमोक्रेट सांसद खन्ना ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए जाने को गांधीवादी दर्शन मूल्यों के साथ विश्वासघात बताया था। गुजरात राज्य के सूरत की एक अदालत ने पिछले हफ्ते राहुल गांधी को मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराया था और उन्हें दो साल कैद की सजा सुनाई थी। उसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गांधी को लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

खन्ना ने हाल ही में ट्वीट किया, संसद से राहुल गांधी का निष्कासन गांधीवादी दर्शन एवं भारत के गहरे मूल्यों के साथ गहरा विश्वासघात है। भारतीय-अमेरिकी नेता (46) ने कहा, कि मेरे नानाजी ने जेल में वर्षों का बलिदान इसके लिए नहीं दिया था। राहुल गांधी के समर्थन में उनके ट्वीट के बाद, सोशल मीडिया पर कई लोगों ने जिक्र किया कि खन्ना के दिवंगत नाना विद्यालंकार एक गांधीवादी थे और आपातकाल के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समर्थक थे। ट्विटर पर किए गए एक पोस्ट में लिखा गया, ‘‘ऐसा लगता है जैसे रो भूल गए हैं कि उनके नाना अमरनाथ विद्यालंकार, जो कांग्रेस के निष्ठावान सदस्य थे, भारत में आपातकाल के मुश्किल समय के दौरान इंदिरा गांधी की सरकार का हिस्सा थे। उन्होंने आपातकाल के दौरान भारतीय जनता पर अत्याचारों का विरोध नहीं किया था।

इसके जवाब में, खन्ना ने ट्वीट किया, यह देखकर दुख होता है कि लोग मेरे नानाजी को बदनाम कर रहे हैं जिन्होंने लाला लाजपत राय के साथ काम किया था, उन्हें 31-32 और 41-45 में जेल में रखा गया था। उन्होंने आपातकाल का विरोध करते हुए इंदिरा गांधी को दो पत्र लिखे थे, उसके तुरंत बाद उन्होंने संसद की सदस्यता छोड़ दी थी। मुझ पर हमला करें। भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर हमला नहीं करें। और तथ्य मायने रखते हैं।’’ विद्यालंकार को माटी का महान पुत्र बताते हुए आकाशवाणी ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत अपने वृत्तचित्र में उनकी सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सराहना की है।

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