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Bangladesh की अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री Sheikh Hasina के भाषणों के प्रकाशन और प्रसारण पर लगाया प्रतिबंध

Bangladesh Court

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Bangladesh Court : बांग्लादेश में एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के किसी भी भाषण के प्रकाशन और प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया। पूर्व प्रधानमंत्री हसीना को अगस्त में बांग्लादेश में हुए भारी विरोध प्रदर्शनों के दौरान सत्ता से बेदखल किया गया था और इसके बाद वह भारत चली गई थीं। हसीना के भाषणों के प्रसारण और प्रकाशन संबंधी मामलों की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधिकरण का यह फैसला पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा न्यूयॉर्क में अपनी अवामी लीग पार्टी के समर्थकों को ‘डिजिटल’ माध्यम से पहली बार सार्वजनिक रूप से संबोधित किए जाने के एक दिन बाद आया है। अपने संबोधन में उन्होंने बांग्लादेश के अंतरिम नेता नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस पर नरसंहार करने और अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया।

अभियोजक गुलाम मोनावर हुसैन तमीम ने बताया कि ढाका स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने यह निर्णय सरकारी अभियोजकों द्वारा मुख्यधारा या सोशल मीडिया पर हसीना के किसी भी भाषण पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध के जवाब में लिया। जुलाई और अगस्त में बांग्लादेश में प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों प्रदर्शनकारी मारे गए थे और हजारों की संख्या में लोग घायल हुए थे। हिंसा में हुई मौत को लेकर हसीना पर कई अदालती मामले जारी हैं। न्यायाधिकरण पहले ही हसीना और उनके करीबी सहयोगियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर चुका है और सरकार ने उनकी गिरफ्तारी के लिए अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन ‘इंटरपोल’ से मदद मांगी है।

अभियोजकों ने न्यायाधिकरण को दिए अपने अनुरोध में कहा कि हसीना के कुछ भाषण ‘इलेक्ट्रॉनिक’ मीडिया पर प्रसारित किए गए हैं तथा इसके जरिए गवाहों को प्रभावित या भयभीत करके हसीना के खिलाफ आरोपों की जांच में बाधा पहुंचाई जा सकती है। हसीना ने अपने 15 साल के शासन के दौरान इस न्यायाधिकरण की स्थापना की थी और 1971 में पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान युद्ध के आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए इसका प्रयोग किया गया था।

हसीना ने बुधवार को न्यूयॉर्क में अपने समर्थकों से कहा कि उनके और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई थी, ठीक वैसे ही जैसे उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या की गई थी जो एक स्वतंत्रता सेनानी थे। शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार के अन्य सदस्यों की 1975 में हत्या कर दी गई थी। केवल हसीना और उनकी छोटी बहन ही बच पाईं क्योंकि वे उस समय जर्मनी की यात्रा पर थीं। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को ढाका स्थित उनके आवास की ओर बढ़ने का निर्देश दिया गया था और उन्हें भारत पलायन के लिए मजबूर किया गया, ताकि सुरक्षा गार्ड को उनके पास आती भीड़ पर गोली नहीं चलानी पड़े।

उन्होंने कहा, कि ‘अगर सुरक्षा गार्ड गोली चलाते तो कई लोगों की जान चली जाती। मुझे वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। मैंने उनसे कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, वे गोली न चलाएं।’’ मीडिया में आई खबर में कहा गया है कि आने वाले हफ्तों में हसीना अपने समर्थकों को संबोधित करने के लिए ऐसे और सार्वजनिक भाषण की योजना बना रही हैं। हसीना के भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अच्छे संबंध हैं। बांग्लादेश से उनके जाने के बाद से देश में एक प्रमुख हिंदू संत को जेल में डालने और भारत में हिंदुओं द्वारा राजनयिक कार्यालय पर हमला करने जैसी घटनाओं को लेकर भारत और मुस्लिम बहुल बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ गया है।

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