Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

बांग्लादेश चुनाव आयोग ने लोकल इलेक्शन की संभावना से किया इनकार

ढाका: बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने कहा है कि राष्ट्रीय चुनावों से पहले स्थानीय चुनाव कराना संभव नहीं होगा। स्थानीय मीडिया के अनुसार, यह पुष्टि ऐसे समय में हुई है जब बांग्लादेश में प्रमुख राजनीतिक दल इस बात पर उलझे हुए हैं कि पहले कौन सा चुनाव कराया जाए।

देश के प्रमुख समाचार पत्र द डेली स्टार से बात करते हुए बांग्लादेश के चुनाव आयुक्तों में से एक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘हम कानून और व्यवस्था की स्थिति पर भी नजर रख रहे हैं। हम सभी जानते हैं कि 5 अगस्त से कानून लागू करने वालों का मनोबल गिरा हुआ है। जब पुलिस का मनोबल अभी भी गिरा हुआ है, तो स्थानीय चुनाव कराना समझदारी नहीं होगी।‘

इस सप्ताह की शुरुआत में चुनाव आयुक्त अब्दुर रहमानेल मसूद ने कहा, ‘हम फिलहाल स्थानीय चुनावों के बारे में नहीं सोच रहे हैं। स्थानीय चुनाव आमतौर पर चरणों में होते हैं। अगर हम अभी स्थानीय चुनाव शुरू करते हैं तो दिसंबर या जनवरी तक संसदीय चुनाव कराना लगभग असंभव हो जाएगा। पिछले कुछ हफ्तों से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), जमात-ए-इस्लामी और लेफ्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एलडीए) सहित कई राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से अलग-अलग मुलाकात की और इस साल राष्ट्रीय चुनाव कराने की मांग उठाई।

कट्टरपंथी राजनीतिक संगठन जमात ए इस्लामी ने हालांकि मांग की है कि स्थानीय चुनावों के बाद ही राष्ट्रीय चुनाव कराए जाएं। शुक्रवार को एक रैली को संबोधित करते हुए, जमात-ए-इस्लामी सचिव मिया गुलाम परवार ने राष्ट्रीय चुनाव से पहले स्थानीय सरकार के चुनाव कराने की अपनी पार्टी की मांग दोहराई।

दूसरी ओर, बीएनपी ने मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार और बांग्लादेश के अन्य राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय चुनावों में छेड़छाड़ न करने की चेतावनी जारी की थी। कुछ स्थानीय मीडिया रिपोटरें के अनुसार, पार्टी ने दावा किया कि सुधारों की आड़ में राष्ट्रीय चुनावों को स्थगित करने की कोई भी रणनीति तीव्र विरोध आंदोलनों को जन्म देगी।

बांग्लादेश के चुनाव आयोग द्वारा दिसंबर 2025 में चुनाव कराने की तैयारी के बीच दो पूर्व सहयोगियों बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी के बीच दरार बढ़ती दिख रही है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में उभरी बीएनपी ने राष्ट्रीय चुनावों को प्राथमिकता दी, जबकि जमात ने पहले स्थानीय सरकार के चुनाव कराने का समर्थन किया।

Exit mobile version