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भविष्य में “बड़े ब्रिक्स” की होगी बड़ी भूमिका

ब्रिक्स देशों के नेताओं का 16वां सम्मेलन 22 से 24 अक्तूबर तक रूस के कजान शहर में आयोजित होगा ।इस साल का मुख्य विषय है, बहुपक्षवाद मजबूत कर वैश्विक न्याय ,विकास व सुरक्षा बढ़ाना । ब्रिक्स देशों के विस्तार के बाद यह पहला शिखर सम्मेलन है ,जो ब्रिक्स की विकास प्रक्रिया में निश्चय ही एक मील के पत्थर का महत्व रखता है। माना जा रहा है कि “बड़ा ब्रिक्स ”अंतरराष्ट्रीय मंच में बड़ी भूमिका निभाएगा और इससे वैश्विक शासन के सुधार को और बढ़ावा मिलेगा ।

ध्यान रहे कि 1 जनवरी 2024 को सऊदी अरब ,मिस्र ,यूएई ,ईरान और इथियोपिया ब्रिक्स के औपचारिक सदस्य बने । इससे विश्व में ब्रिक्स का प्रतिनिधित्व और आकार काफी हद तक बढ़ गया है।मिस्र और इथियोपिया बड़े अफ्रीकी देश हैं और मिस्र का अरब दुनिया में महत्वपूर्ण स्थान भी है ।सऊदी अरब ,यूएई और ईरान मध्यपूर्व क्षेत्र के बड़े देश हैं और तीनों विश्व के मुख्य तेल उत्पादक हैं ।अब ब्रिक्स देशों की कुल आबादी करीब 3 अरब 50 करोड़ है ,जो विश्व की कुल आबादी का 45 प्रतिशत हिस्सा है ।विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल क्रय शक्ति समता (पीपीपी) की दृष्टि से वैश्विक जीडीपी में ब्रिक्स का हिस्सा 35.7 प्रतिशत था ।उल्लेखनीय बात है कि ब्रिक्स के कई देशों में प्रचुर प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं।इस सबने अंतरराष्ट्रीय मंच पर ब्रिक्स की आवाज और बुलंद तरीक़े से उठाने के लिए मजबूत आधार रखा है ।

वर्तमान विश्व तेज और गहरे परिवर्तन के चरण से गुजर रहा है । ज्वलंद मुद्दे निरंतर उभर रहे हैं ।विभिन्न शक्तियों का मुकाबला व टकराव तीव्र दिखाई दे रहा है ,जैसे बहुध्रुवीकरण बनाम एकल ध्रुव ,वैश्वीकरण बनाम ग़ैर वैश्वीकरण आदि। नवोदित अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों के मुख्य प्रतिनिधियों के नाते ब्रिक्स के सभी सदस्य विकास व पुनरुत्थान के ऐतिहासिक मिशन का सामना कर रहे हैं , बहुपक्षवाद पर कायम रहते हैं और बहुध्रुवीकरण का समर्थन करते हैं ।इसी कारण वे एकत्र होकर समान विकास का अनुसरण करते हैं ।ऐतिहासिक चौराहे पर उनको अपने और व्यापक विकासशील देशों के हितों की सुरक्षा के लिए कजान शिखर सम्मलेन के मौक़े से लाभ उठाकर गहन सलाह मशवरे से अधिकतर समानताएं बनानी चाहिए ।बड़े ब्रिक्स के भावी विकास पर एक प्रेरणादायक ब्लूब्रिंट खींचने और स्पष्ट संदेश भेजने से पूरी दुनिया में अधिक सकारात्मक ऊर्जा ,निश्चितता तथा  स्थिरता आएगी ।

उधर आर्थिक व व्यापारिक सहयोग शुरू से ही ब्रिक्स देशों का फोकस रहा है और इधर के कुछ सालों में बड़ी उपलब्धियां भी हासिल हुई हैं ।ब्रिक्स देशों द्वारा स्थापित नव विकास बैंक  इस पहलू में एक श्रेष्ठ उदाहरण है ।अब तक इस बैंक ने 96 परियोजनाओं के लिए 3 अरब 28 करोड़ अमेरिकी डॉलर कर्ज को मंजूरी दी है ,जिसमें भारत ने 7 अरब 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर ऋण हासिल किया है ।इस संदर्भ में ब्रिक्स देश कजान शिखर सम्मेलन में और एक उत्साहित योजना प्रस्तुत कर रहे हैं ,जो व्यापक नजर खींच रहा है ।रूसी वित्त मंत्री एंटन सिल्वुआनोव ने हाल ही में ब्रिक्स देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक महानिदेशकों की बैठक के दौरान  कहा कि कजान शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक व वित्तीय व्यवस्था सुधारने की रिपोर्ट पेश की जाएगी ,जिसमें ब्रिक्स भुगतान व्यवस्था की  स्थापना की वकालत शामिल होगी । अगर नयी भुगतान व्यवस्था को मंजूरी मिली ,तो ब्रिक्स देशों को आपस में व्यापार करने को बड़ी सुविधा मिलेगी ।वर्तमान में ब्रिक्स देशों के वस्तु व्यापार की रकम विश्व व्यापार का लगभग 20 प्रतिशत है ,लेकिन उन के बीच व्यापार महज अपने अपने विदेश व्यापार की कुल राशि का 10 प्रतिशत है ,जिस की वृद्धि की बड़ी संभावना है ।

इसके अलावा ब्रिक्स का विस्तार अपने साथ इतिहास, परंपराओं और संस्कृतियों का एक समृद्ध ताना-बाना लेकर आता है। । यह विभिन्न सभ्यताओं के आदान प्रदान और पारस्परिक सीख के लिए अच्छा मौका प्रदान करेगा ।इस क्षेत्र में “बड़ा ब्रिक्स” बहुत काम कर सकता हैं ,जिससे विभिन्न देशों की जनता की परस्पर समझ व मित्रता जरूर मज़बूत होगी । 

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)

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