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बोआओ फोरम एशिया के विकास की जरूरत

चीन के दक्षिणी छोर पर बसा हाईनान प्रांत वैसे तो अपनी ख़ूबसूरती के बारे में जाना जाता है, मगर यहाँ आयोजित बोआओ फोरम फॉर एशिया का अपना महत्व है। कोरोना महामारी के बाद हाल ही में बोआओ फोरम फॉर एशियाका वर्ष 2023 का वार्षिक सम्मलेन आयोजित किया गया है। हर साल इस फोरम का एक निर्धारित विषय होता है जिस पर इसमें शामिल होने वाले 50 से अधिक देशों के नागरिक समाज, प्रमुख सागठनों के सदस्य गहन चर्चा करते है और अपना अपना मत प्रकट करते है। इस वर्ष का फोरम “एन अनसर्टेन वर्ल्ड: सॉलिडेरिटी एंड कोऑपरेशन फॉर डेवलपमेंट एमिड चैलेंजेज” थीम के तहत पूरी तरह से ऑफलाइन आयोजित किया गया है। बोआओ फोरम ऐसा ही है जैसा की विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम) स्विट्ज़रलैंड में स्थित एक ग़ैर-लाभकारी संस्था है या आप इसे एशिया के विकास का सूत्रधार भी कह सकते है।

एशिया पर इतना फोकस क्यूँ..? दरअसल अगर आप हाल में प्रकाशित आईएमएफ़ की रिपोर्ट देखेंगे तो पायेंगे की पूरी दुनिया के लिए एशिया कितना महत्वपूर्ण है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ आईएमएफ़ ये स्पष्ट करता है कि केवल चीन और भारत ही इस वर्ष दुनिया के आधे विकास में योगदान देंगे, चीन के आर्थिक विकास में प्रत्येक 1 प्रतिशत की वृद्धि से शेष एशिया के उत्पादन में लगभग 0.3 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इसके अलावा, एशिया के अन्य क्षेत्र भी वैश्विक विकास में एक चौथाई योगदान दे सकते हैं। आईएमएफ के अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2023 में भारत के 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है, इसके बाद चीन की 5.2 प्रतिशत की वृद्धि होगी।इससे ये साफ़ ज़ाहिर होता है की एशिया न केवल अपने लिये बल्कि पूरे विश्व के लिये कितना महत्वपूर्ण है। इसी से आप अंदाज़ा लगा सकते है कि विश्व पटल पर एशिया कितना अहम है।

इस वर्ष का फोरम “एन अनसर्टेन वर्ल्ड: सॉलिडेरिटी एंड कोऑपरेशन फॉर डेवलपमेंट एमिड चैलेंजेज” महामारी के बाद आए उतार-चढ़ाव को मद्देनज़र रखा गया है, जहाँ ये दिशा तय करने में मदद मिलेगी कि इस तरह की चुनौतियों के बीच आपसी तालमेल कैसे स्थापित किया जाये, चुनौतियों से कैसे निपटा जाये और साथ-साथ विकास की राह में भी कोई बाधा ना आने पाये। इस तरह की चुनौतियों का सामना करने और आपसी सहयोग और भरोसे को बनाए रखने के लिए ये एक अहम बैठक है और चीन इस तरह के विषयों पर हमेशा अपना ध्यान केंद्रित करता आया है जोकि ना केवल एशिया बल्कि विश्व के कल्याण में सहायक हो इसी कड़ी में बोआओ फोरम फॉर एशिया, क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने और एशियाई देशों को अपने विकास लक्ष्यों के करीब लाने के लिए प्रतिबद्ध है। बोआओ फोरम फॉर एशियाएक गैर-लाभकारी संगठन है जो एशिया और अन्य महाद्वीपों की राष्ट्रीय सरकारों के लीडर्स, बिजनेसमैन और शिक्षाविदों आदि को वैश्विक मुद्दों पर अपनी दृष्टि साझा करने के लिए एक मंच उलब्ध कराता है।

समग्र रूप से, एशियाई देशों को एक ऐसे मंच की आवश्यकता है जो वास्तव में परिप्रेक्ष्य से और एशिया के लाभ के लिए बनाया गया हो, और जो एशियाई मुद्दों की चर्चा के लिए समर्पित हो और एशियाई देशों के बीच सहयोग और आदान-प्रदान बढ़ाने के उद्देश्य से हो, और एशियाई देशों के बीच और दुनिया के अन्य भागों को जोड़ने की कड़ी का काम करे। यही सोचकर चीन ने वर्ष 2001 में 26 सदस्य राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से शुरू किया था जिसने भारत भी इसका सदस्य देश है। गत वर्षों में इस फोरम का काफ़ी व्यापक असर देखने को मिला है, जो एशिया के विकास इंजन को एक नई ऊर्जा प्रदान करता है और आगे भी करता रहेगा।

बोआओ फोरम की रिपोर्ट में कहा गया है, वर्ष 2023 में, वैश्विक मंदी और वैश्वीकरण के बढ़ते विखंडन के जोखिम के संदर्भ में, एशिया से समग्र आर्थिक विकास की अपनी गति तेज करने, क्षेत्रीय उत्पादन, व्यापार, निवेश और वित्तीय एकीकरण और सामंजस्य को आगे बढ़ाने की उम्मीद है, और वैश्विक आर्थिक शासन के लिए एशियाई क्षणपर मुहर लगाए।

एशिया के विकास के सामने आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों का प्रबंधन करने के लिए, रिपोर्ट में एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के लचीलेपन, औद्योगिक श्रृंखलाओं के पुनर्गठन, जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रियाओं और क्षेत्रीय व्यापार समझौतों के कार्यान्वयन पर “महत्वपूर्ण ध्यान” देने का आह्वान किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2023 में वैश्विक श्रम बाजार में गिरावट के बावजूद एशिया, खासकर पूर्वी एशिया में रोजगार की स्थिति अपेक्षाओं से अधिक हो सकती है।

सतत विकास पर एक अलग रिपोर्ट में, थिंक टैंक ने क्षेत्र के उत्साहजनक आर्थिक दृष्टिकोण के बावजूद एशिया में विकास के लिए गंभीर चुनौतियों की चेतावनी दी। रिपोर्ट में चुनौतियों से निपटने और पूरे एशिया में विकास निधि अंतराल को भरने के लिए बहुपक्षीय सहयोग और मिश्रित वित्तपोषण उपायों का आह्वान किया गया है।

बोआओ फोरम का वार्षिक सम्मेलन 2023, जो मंगलवार 28 मार्च को शुरू हुआ, 31 मार्च तक बोआओ में जारी रहेगा, जहां 50 देशों और क्षेत्रों के 2,000 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। आशा है कि बीएफए फोरम अपने लक्ष्यों को हासिल करने, आपसी सहयोग बढ़ाने, चुनौतियों से निपटने और एशिया को विश्व स्तर पर अपना लोहा मनवाने में कामयाब होगा जिससे एशियाई देशों को और मज़बूती हासिल होगी जो बेहतर भविष्य के लिए लाभदायक होगा। 

(देवेंद्र सिंह, रिपोर्टर)

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