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2024 का ब्रिक्स शिखर सम्मेलन: नए सदस्यों के साथ वैश्विक सहयोग का विस्तार

ब्रिक्स (BRICS) समूह, जिसमें ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं, ने 2024 में नए देशों को अपने साथ जोड़कर वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 16वां ब्रिक्स सम्मेलन रूस के कजान में मंगलवार 22 अक्टूबर को शुरू हुआ।इस बार के शिखर सम्मेलन का उद्देश्य आर्थिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाना और दुनिया के प्रमुख मुद्दों पर मिलकर काम करना है। नए सदस्यों के साथ, ब्रिक्स का प्रभाव और भी बढ़ जाएगा। ब्रिक्स के विस्तार के बाद यह पहला शिखर सम्मेलन है।

ब्राजील, रूस, भारत और चीन से शुरू होकर साउथ अफ्रीका और फिर जनवरी 2024 में ईरान, मिस्र, इथोपिया और UAE को जोड़ते हुए BRICS अब BRICS प्लस बन गया है। नए सदस्य मंगलवार में शुरू हुए शिखर सम्मेलन में मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान और इथियोपिया पहली बार सदस्य देशों के तौर पर हिस्सा हुए। शुरुआत में विश्व के पांच बड़े विकासशील देशों को लाने वाले ब्रिक्स अब वैश्विक आबादी का आधा हिस्सा, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 37.5 फीसदी और वैश्विक व्यापार का 40 फीसदी का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे समूह की आर्थिक और राजनीतिक ताकत में इज़ाफ़ा हुआ है। इस पहल से न केवल वैश्विक दक्षिण की आवाज़ मजबूत होगी, बल्कि विकासशील देशों को अधिक प्रभावी भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा। यह विस्तार ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार, निवेश, और तकनीकी आदान-प्रदान को भी प्रोत्साहित करेगा।

2024 के शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सहयोग, और वित्तीय स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की गई। नए सदस्य देशों की भागीदारी से इन चर्चाओं में विविधता और गहराई आई है, जिससे समग्र रूप से समूह की नीति निर्माण प्रक्रिया को मजबूती मिली है। नए सदस्यों के साथ, ब्रिक्स समूह का आर्थिक दायरा और भी विस्तृत हुआ है। इस शिखर सम्मेलन में व्यापार और निवेश के नए अवसरों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके अलावा, डिजिटल अर्थव्यवस्था और नई प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग पर भी जोर दिया गया।

भारत और चीन ने इस शिखर सम्मेलन को सफल बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। BRICS समिट से पहले एक अच्छी खबर आई है कि भारत और चीन ने  सीमा पर 2020 से जारी तनाव को सुलझा लिया है।  BRICS समिट में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुलाकात की। वहीं चीन का ब्रिक्स में भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। ब्रिक्स (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) एक ऐसा समूह है जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व करता है। इस समूह में चीन की भूमिका कई दृष्टिकोणों से अहम है।

चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और ब्रिक्स देशों की आर्थिक मजबूती में प्रमुख योगदान देता है। चीन का विशाल बाजार, उत्पादन क्षमता और निर्यात उसकी आर्थिक भूमिका को और अधिक महत्वपूर्ण बनाते हैं। ब्रिक्स मंच का उपयोग चीन विकासशील देशों की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने के लिए करता है। चीन अपनी नीतियों और परियोजनाओं, जैसे बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI), के माध्यम से अन्य ब्रिक्स देशों और विकासशील देशों के साथ सहयोग करता है।

चीन उच्च प्रौद्योगिकी और नवाचार में भी नेतृत्व कर रहा है। ब्रिक्स देशों के बीच तकनीकी सहयोग और विज्ञान में अनुसंधान के क्षेत्रों में चीन की अग्रणी भूमिका है, जो सभी सदस्य देशों के लिए फायदेमंद साबित होती है। चीन ब्रिक्स में आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देता है और विकासशील देशों के लिए एक नए विश्व आर्थिक व्यवस्था की वकालत करता है, जो पश्चिमी देशों पर निर्भरता को कम करता है। चीन ने ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई है, जो ब्रिक्स देशों और अन्य विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। चीन वैश्विक स्थिरता और शांति को बनाए रखने के लिए ब्रिक्स मंच का उपयोग करता है। चीन का जोर बहुपक्षीय संवाद और संघर्ष समाधान पर होता है, खासकर संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों के माध्यम से।

चीन की यह भूमिका न केवल ब्रिक्स के सदस्य देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक दक्षिण और विकासशील देशों के लिए भी एक मार्गदर्शक के रूप में काम करती है, जो समावेशी विकास और बहुपक्षीय सहयोग की दिशा में अग्रसर हैं। ब्रिक्स 2024 शिखर सम्मेलन नए देशों की भागीदारी के साथ वैश्विक सहयोग और विकास के नए रास्ते खोलने वाला है। यह विस्तार ब्रिक्स के वैश्विक महत्व को बढ़ाएगा और सदस्य देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करेगा। आने वाले समय में, यह समूह वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)  (लेखक—देवेंद्र सिंह)

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