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कनाडा के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री उज्जल दुसांझ का आया बयान कहा खालिस्तानियों के दबाव में आकर भागे ट्रूडो

राजनेता उज्जल दुसांझ, जो पिछले 30 वर्षों से कनाडा की राजनीति में सक्रिय हैं और ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा के पूर्व प्रधान मंत्री हैं उनका कहना है कि भारत के साथ बढ़ा तनाव पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। इसी राजनीति के चलते टोडो सरकार ने 2018 में जारी ‘पब्लिक रिपोर्ट ऑन द टेररिस्ट थ्रेट टू कनाडा’ से खालिस्तान और सिख आतंकवाद जैसे शब्द हटा दिए. एक बार फिर ट्रूडो खालिस्तान समर्थकों के दबाव में आ गए हैं. अगर कनाडा के पास निझार मामले में कोई सबूत है तो उसे सबके सामने लाना चाहिए था. उन्होंने इसमें जल्दबाजी की है और उन्हें इससे बचना चाहिए था।

उज्ज्वल दुसांझ लिबरल पार्टी से जुड़े हैं. वह कनाडा के स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। वह शुरू से ही खालिस्तान का विरोध कर रहे हैं और इस वजह से उन्हें कई बार निशाना भी बनाया गया है लेकिन उन्होंने खालिस्तान के मुद्दे पर खुलकर बोलना बंद नहीं किया है।

दुसांझ का कहना है कि पिछले कई महीनों से कनाडा में जिस तरह से भारतीय राजनयिकों की तस्वीरें छापी जा रही हैं और जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं, उसे लेकर कोई समझदारी नहीं दिखाई गई है. आखिर ऐसी गतिविधियों की इजाजत किसने दी और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। हालाँकि भारत ने अस्थायी रूप से वीजा जारी करना बंद कर दिया है, लेकिन जिन परिवारों को अचानक पारिवारिक काम के लिए पंजाब या भारत की यात्रा करनी पड़ती है और उनके पास वीजा नहीं है, उनके सामने आने वाली कठिनाइयों के लिए कौन जिम्मेदार है? लोगों को भी इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इसका सबसे बड़ा असर इंडो-कैनेडियन समुदाय पर पड़ेगा।

जगमीत जो खुलेआम खालिस्तान का समर्थन करते हैं और खालिस्तान के हक़ में बोलते हैं। जस्टिन ट्रूडो पूरी तरह से उनके प्रभाव में हैं और उन्हीं की वजह से ये मामला यहां तक ​​पहुंचा है. मैं इस साल मई में भारत गया था और वहां किसी ने खालिस्तान का जिक्र तक नहीं किया. हम भारतीय खालिस्तान को लेकर इतनी भावना लेकर पंजाब से 15 हजार किमी दूर कनाडा क्यों जा रहे

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