टोरंटोः विभिन्न हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ के लिए खालिस्तान समर्थक तत्वों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने पर निराशा व्यक्त करते हुए कनाडा-इंडिया फाउंडेशन ने देश के राजनेताओं से अपनी चुप्पी तोड़ने और इन कट्टरपंथियों पर लगाम लगाने को कहा है- इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। शीर्ष भारतीय-कनाडाई वकालत संस्था ने राजनेताओं को लिखे एक खुले पत्र में कहा है: ‘‘हिंसा में विश्वास रखने वाले चरमपंथियों के एक समूह द्वारा हमारे समुदाय को जारी की गई धमकियों ने हाल ही में खतरनाक आयाम ले लिया है। ऐसे ही एक स्वयंभू चरमपंथी नेता ने कनाडाई लोगों को नवंबर के महीने में एयर इंडिया से यात्रा न करने की चेतावनी जारी की हैं।
पत्र में कहा गया है कि आश्चर्य है कि कनाडाई राजनेताओं और मीडिया ने इस खतरे को क्यों नजरअंदाज कर दिया है। संस्था ने लिखा, कि ‘हम और भी अधिक निराश हैं कि हमारे राजनीतिक नेताओं ने इस गंभीर मुद्दे पर पूरी तरह से चुप्पी बनाए रखी है। आतंकवाद और खतरों से निपटने का यह चयनात्मक दृष्टिकोण इस दुनिया को एक सुरक्षित जगह नहीं बनाएगा।’ मिसिसॉगा में राम मंदिर, रिचमंड हिल में विष्णु मंदिर, टोरंटो में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर, सरे में लक्ष्मी नारायण मंदिर जैसे हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ को धर्म की स्वतंत्रता पर हमला और एक खतरनाक प्रवृत्ति बताते हुए पत्र में कहा गया है कि चरमपंथी यहां तक कि आम हिंदुओं को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है और उन्हें कनाडा छोड़ देने को कहा है।
मिसिसॉगा के कालीबाड़ी मंदिर में 25 नवंबर को हुई नवीनतम घटना पर प्रकाश डालते हुए, जब खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों ने भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा वरिष्ठ नागरिकों की एक विशेष सेवा को बाधित कर दिया था, पत्र में कहा गया है कि भारतीय राजनयिक कर्मचारियों को ताजा धमकियां भारत-कनाडाई समुदाय को प्रभावित करेंगी और द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति में बाधा डालेंगी।
कनाडा सरकार, उसकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों और मीडिया से हिंदुओं को निशाना बनाए जाने को नजरअंदाज न करने का आग्रह करते हुए कनाडा-इंडिया फाउंडेशन ने अपने पत्र में कहा: ‘‘हमने तत्काल और निर्णायक कार्रवाई करने के लिए सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री को अलग से लिखा हैङ्घ कि ऐसे हिंसक एजेंडे वाले लोगों के साथ बच्चों की तरह नरम व्यवहार नहीं किया जाता है।’