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तकनीक के जरिए हरित राष्ट्र के निर्माण में तकनीक पर जोर दे रहे हैं चीन और भारत

इंटरनेशनल डेस्क : चीन और भारत न केवल बड़े विकासशील देश हैं, बल्कि एक-दूसरे के पड़ोसी भी हैं। हाल के वर्षों में दोनों ने तकनीक पर ज़ोर देने के साथ-साथ हरित राष्ट्र के निर्माण में भी काम किया है। दोनों देशों की सरकारें स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही हैं। इसके लिए.

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इंटरनेशनल डेस्क : चीन और भारत न केवल बड़े विकासशील देश हैं, बल्कि एक-दूसरे के पड़ोसी भी हैं। हाल के वर्षों में दोनों ने तकनीक पर ज़ोर देने के साथ-साथ हरित राष्ट्र के निर्माण में भी काम किया है। दोनों देशों की सरकारें स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही हैं। इसके लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। जानकार कहते हैं कि यह संतुलित विकास करने का एक अच्छा मॉडल है।

बता दें कि चीन ने पिछले कुछ दशकों में बड़ी तेजी से विकास किया है। जिसमें आर्थिक प्रगति के साथ-साथ देश के हरित विकास पर ध्यान दिया गया है। इसमें खासतौर पर सतत विकास की एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में डिजिटल तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को अपनाया जा रहा है। कहने में दोराय नहीं कि चीन प्रौद्योगिकी को एक अहम और सटीक साधन के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए गंभीर दिखता है। चीन तमाम क्षेत्रों में एआई का उपयोग कर रहा है। उदाहरण के लिए ऊर्जा, परिवहन, विनिर्माण, कृषि और स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में चीन ने एआई का बखूबी इस्तेमाल किया है। इसमें उत्पादकता बढ़ाने, अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा घटाने के लिए जोर दिया जा रहा है। इससे कंपनियों के काम करने की क्षमता में इजाफा हो रहा है, साथ ही पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद मिल रही है। बताया जाता है कि इस तरह के अभिनव प्रयोगों से परंपरागत उद्योगों को अपना विकास करने के लिए नया रूप मिल रहा है। जबकि उभरते उद्योग और स्टार्ट अप्स नई तकनीक पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। 

जैसा कि हमने हाल में देखा कि चीन के ओपन एआई ने दुनिया को आश्चर्य में डाल दिया था। डीपसीक जिसे सिर्फ दो-तीन वर्षों के शोध और विकास के बाद तैयार करने में चीनी कंपनी ने सफलता हासिल की। यह सिर्फ चीन में एआई के क्षेत्र में हो रहे कार्यों और विकास का एक उदाहरण है। डीपसीक की तरह कई अन्य ओपन एआई टूल्स उभर रहे हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर चीन की भूमिका और बड़ी हो रही है। इतना ही नहीं, चीन ने विभिन्न कारखानों को स्वच्छ ऊर्जा से संचालित करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा चीन ने इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को मिशन के तौर पर अपनाया है। जाहिर है कि चीन आज विश्व में सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक कार बाज़ार बन गया है। चीन के छोटे-छोटे शहरों में भी इलेक्ट्रिक वाहन सड़कों पर दौड़ते नजर आते हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज़ करने की बड़ी समस्या होती है, इसे देखते हुए चीन लगातार चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण कर रहा है। जिससे कार चालकों को काफी सुविधा हो रही है, और वे पेट्रोल और डीजल वाले वाहनों के बजाय नई ऊर्जा वाले वाहनों का इस्तेमाल करने लगे हैं। जिससे पर्यावरण प्रदूषण में बहुत हद तक कमी आयी है। इस तरह चीन में नीले आकाश वाले दिनों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है। 

उधर, भारत में प्रदूषण की समस्या काफी बड़ी है, इसे देखते हुए सरकार हरित ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। इसमें सौर ऊर्जा के साथ-साथ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर फोकस किया जा रहा है। साथ ही हाइड्रोजन को ईंधन के रूप में उपयोग में लाने पर भी भारत सरकार प्रतिबद्ध लग रही है। इन क्षेत्रों में सरकार ने भारी मात्रा में निवेश किया है, जिसका परिणाम आने वाले वर्षों में दिखेगा। 

कहा जा सकता है कि भारत और चीन दोनों ने हरित विकास पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। क्योंकि दोनों देश न केवल आबादी के लिहाज से बड़े हैं, बल्कि उत्पादन भी बड़ी मात्रा में करते हैं। ऐसे में तकनीक का सही ढंग से इस्तेमाल करने से हरित विकास के पथ पर अग्रसर हुआ जा सकता है। जिसे दोनों देश की सरकारें समझती हैं, इसीलिए नवीन ऊर्जा के महत्व पर जोर दिया जा रहा है। 

(अनिल पांडेय, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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