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सभ्यता पर चीन-भारत संवाद पेइचिंग में आयोजित  

10 जुलाई को सभ्यता पर चीन-भारत संवाद पेइचिंग स्थित चीनी राष्ट्रीय शासन अकादमी में आयोजित हुआ। इस अकादमी के उपाध्यक्ष ली वनथांग, चीन में पूर्व भारतीय राजदूत अशोक कंठ, पेइचिंग विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा कॉलेज के प्रधान छन मिंग, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बी.आर. दीपक, शनचो विश्वविद्यालय के भारत अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष य्वी लोंगय्वी, भारतीय थिंक टैंक इंडियन गेटवे हाउस के संस्थापक मनजीत कृपलानी आदि चीनी व भारतीय विद्वानों, विशेषज्ञों और मीडिया जगत के प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया। 

संवाद में प्रतिभागियों ने चीनी और भारतीय सभ्यताओं के बीच आदान-प्रदान और आपसी सीख का इतिहास और अनुभव, चीनी और भारतीय सभ्यताओं की परंपरा और आधुनिकता, पूर्वी सभ्यता और मानव जाति के साझा भविष्य वाले समुदाय तीन विषयों पर चर्चा की। 

चीनी राष्ट्रीय शासन अकादमी के उपाध्यक्ष ली वनथांग ने कहा कि आज, राष्ट्रीय शासन के आधुनिकीकरण और वैश्विक शासन में सुधार लाने में पूर्वी सभ्यता का महत्व अधिक अहम हो गया है। चीनी और भारतीय सभ्यताएं पूर्वी सभ्यता की महत्वपूर्ण प्रतिनिधि हैं। विश्व शांति की रक्षा करने, सामान्य विकास को बढ़ावा देने, मानव कल्याण को बढ़ाने और सामान्य प्रगति हासिल करने के लिए चीनी और भारतीय सभ्यताओं के बीच संवाद को मजबूत करने का बहुत व्यावहारिक महत्व है। 

वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग के अध्यक्ष इंद्र नारायण सिंह ने कहा कि चीन और भारत के बीच आदान-प्रदान न केवल व्यापार, संस्कृति और कला का आदान-प्रदान है, बल्कि मानविकी और सभ्यताओं का भी आदान-प्रदान है। चीन और भारत की सभ्यताओं के बीच ऐतिहासिक आदान-प्रदान की समीक्षा करना आज दोनों देशों के बीच सभ्यताओं के बीच आदान-प्रदान और संवाद के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

संवाद सम्मेलन में भाग लेने वाले चीनी और भारतीय विद्वानों और विशेषज्ञों ने कहा कि हजारों वर्षों से, चीन और भारत के बीच अद्भुत सांस्कृतिक आदान-प्रदान कायम रहा है, जिसने साहित्य, कला, दर्शन, धर्म आदि पहलुओं में सांस्कृतिक विकास और प्रसार को प्रभावी ढंग से बढ़ावा दिया है और मानव सभ्यता की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वर्तमान में, सभ्यता पर चीन-भारत संवाद को आगे बढ़ाने, चीन-भारत मानविकी आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के साथ-साथ आधुनिकीकरण और वैश्विक शासन में पूर्वी सभ्यता के समकालीन मूल्य का संयुक्त रूप से पता लगाना आवश्यक है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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