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व्यवस्थित अवधारणा अपनाकर मरुस्थलीकरण से निपट रहा चीन

इंटरनेशनल डेस्क: चीनी राष्ट्र-शासन में एक बुनियादी सिद्धांत व्यवस्थित अवधारणा पर कायम रहना है। इसका मतलब है कि ठोस सवाल के समाधान में सार्वभौमिक संपर्क, सर्वांगीण व्यवस्था और निरंतर परिवर्तन के विचार पर जोर लगाना है। इधर कुछ साल चीन ने व्यवस्थित अवधारणा अपनाकर मरुस्थलीकरण के निपटारे में बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की हैं।

उदाहरण के लिए उत्तर पश्चिमी चीन के शिन च्यांग के अल्तुन पहाड़ क्षेत्र में रेगिस्तान बसा है। व्यवस्थित अवधारणा के मुताबिक रेगिस्तान, पहाड़, झील और घास मैदान सब एक ही एको-समुदाय के घटक हैं। उनका सहअस्तित्व हो सकता है। चीन ने वहां प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र स्थापित किया। अब वह दुर्लभ जंगली जीवों का हामटाउन बन गया है।

कुबुछी रेगिस्तान चीन का सातवां सबसे बड़ा रेगिस्तान है, जो राजधानी पेइचिंग से सबसे करीबी रेगिस्तान भी है। तीस साल के वृक्षारोपण से वहां एक तिहाई रेगिस्तान को हरा भरा बनाने में कामयाबी हासिल की गयी है। रेगिस्तान की रोकथाम के लिए वहां हर गांव में ग्रीन अभियान चलाया गया और खेतों को वन में परिवर्तित करने की परियोजना लागू की गयी। रेगिस्तान की रोकथाम के लिए 200 किलोमीटर से अधिक लंबी वन-पट्टी निर्मिति की गयी।

इससे कई हजार करोड़ युवान की पारिस्थितिकी संपत्ति सृजित की गयी और 1 लाख से अधिक लोगों को गरीबी से छुटकारा मिला। बदैन जरन रेगिस्तान चीन का तीसरा सबसे बड़ा रेगिस्तान है। वहां 144 झीले बसी हैं। विशिष्ट भौगोलिक दृश्य से वह विश्व विरासतों की सूची में शामिल हुआ। स्थानीय लोगों ने व्यवस्थित अवधारणा अपनाकर पर्यावरण संरक्षण मजबूत करने के साथ पर्यटन के विकास पर बल दिया। अब स्थानीय लोगों की आय में बड़ी वृद्धि दर्ज हुई है।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप , पेइचिंग)

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