इंटरनेशनल डेस्क : चीन ने हाल ही में अमेरिका की उस धमकी का कड़ा जवाब दिया है, जिसमें अमेरिका ने अपने सभी व्यापारिक साझेदारों पर “पारस्परिक टैरिफ” लगाने की बात कही थी। इसके लिए चीन ने एक दस्तावेज जारी किया है, जिसमें अमेरिका की टैरिफ नीति को साफ तौर पर गलत ठहराया गया है। इस दस्तावेज में चीन ने कहा है कि वह उच्च स्तर की व्यापार और निवेश स्वतंत्रता की नीतियों को अपनाना जारी रखेगा और दुनिया के साथ अपने विकास के अवसर साझा करेगा। यह कदम चीन के उस मजबूत रुख को दिखाता है, जो आधिपत्य और अन्याय के खिलाफ है। इसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चीन की काफी तारीफ भी हो रही है।
दस्तावेज में बताया गया है कि अमेरिका टैरिफ को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करता है, ताकि दूसरे देशों पर दबाव बनाया जा सके। यह उसकी एकतरफा नीति और आर्थिक बदमाशी का स्पष्ट उदाहरण है। सच तो यह है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने मुक्त व्यापार व्यवस्था से सबसे ज्यादा फायदा उठाया है। चीन और अमेरिका के बीच आर्थिक और व्यापारिक सहयोग से अमेरिकी कंपनियों को भारी मुनाफा हुआ है। लेकिन इसके बावजूद, अमेरिका अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करते हुए टैरिफ के जरिए दूसरे देशों को डराने-धमकाने की कोशिश करता है।
अमेरिका की इन हरकतों के सामने चीन चुप नहीं रहा। उसने सटीक और प्रभावी जवाबी कदम उठाए हैं। ऐसा करना न सिर्फ अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास के हितों की रक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों को बचाने के लिए भी अहम है। चीन के इन कदमों से उसका आत्मविश्वास और दृढ़ता झलकती है। साथ ही, यह दूसरों देशों को भी एकतरफा नीतियों के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत देता है।
इसके अलावा, चीन दुनिया को नए अवसर देने के लिए अपने दरवाजे और चौड़े कर रहा है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कई बार कहा है कि चीन सुधार और खुलेपन की राह पर मजबूती से चलता रहेगा। उनका कहना है कि चीन का यह दरवाजा पहले से कहीं ज्यादा खुला होगा। यह नज़रिया न सिर्फ चीन के खुले रवैये को दिखाता है, बल्कि कई बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का ध्यान और निवेश भी अपनी ओर खींचता है।
आज जब वैश्वीकरण को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, तब चीन का यह दस्तावेज दुनिया को एक मजबूत संदेश देता है। यह संदेश है बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था की रक्षा करने और आर्थिक वैश्वीकरण को आगे बढ़ाने का। इतिहास और हकीकत दोनों साफ बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय नियमों को तोड़ने वाला कौन है और बनाने वाला कौन। कौन इतिहास को पीछे ले जा रहा है और कौन सही दिशा में खड़ा है। दुनिया को निष्पक्ष होना चाहिए, अत्याचार करने वाली नहीं। यही चीन की साफ घोषणा है और यही अंतरराष्ट्रीय समुदाय की साझा इच्छा भी है। चीन के इन कदमों और बयानों ने वैश्वीकरण के भविष्य को मजबूत करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा भरी है।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)