पेरू और ब्राजील में क्रमशः आयोजित एपीईसी और जी 20 शिखर सम्मेलन भी दुनिया के प्रमुख देशों के लिए निकट संपर्क, चर्चा और सहयोग करने के उत्कृष्ट अवसर हैं। चीनी और अमेरिकी राष्ट्रपतियों की वार्तालाप भी लीमा में हुई। उम्मीद है कि ये शिखर सम्मेलन चीन और अमेरिका इन दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों का स्थिर, स्वस्थ और टिकाऊ विकास करने पर विचार-विमर्श करने के अच्छे अवसर बनेंगे।
पिछली आधी सदी से अधिक के इतिहास ने साबित कर दिया है कि एक स्वस्थ और स्थिर चीन-अमेरिका संबंध पूरी दुनिया के सामान्य हितों के लिए अनुकूल है। चीन के विकास का उद्देश्य किसी भी देश के हितों को नुकसान पहुंचाना नहीं है। चीन और अमेरिका की उपलब्धियां एक-दूसरे को चुनौती देने के बजाय सुअवसर प्रदान करेंगी। दोनों देशों को सहयोग और आपसी सम्मान के सिद्धांतों के आधार पर शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व रखना चाहिए और मिलकर मानव समाज के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान करना चाहिये। विश्व के लोगों को उम्मीद है कि चीन और अमेरिका पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग का विस्तार कर सकेंगे।
कुछ अमेरिकी राजनेता गलती से मानते हैं कि चीन विकसित होने के बाद अमेरिका के स्थान पर कब्जा कर लेगा और अमेरिका के मौलिक हितों को खतरे में डाल देगा। यह विचार ऐतिहासिक तथ्यों से पूरी तरह असंगत है। चीन का विकास अमेरिका के लिए आपदा होने के बजाय व्यापार के अधिक अवसर है। उदाहरण के लिए, 1979 में चीन-अमेरिका व्यापार की मात्रा सिर्फ 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जबकि 2022 तक यह बढ़कर 690.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंची। अमेरिका ने चीन में कुल 68,000 विदेशी निवेश वाले उद्यम स्थापित किए, चीन अमेरिका के लिए सबसे बड़ा आयात स्रोत है, जबकि अमेरिका भी चीन का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। चीन-अमेरिका व्यापार दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण है, और उच्च गुणवत्ता और कम कीमत वाले चीनी सामानों ने अमेरिका में घरेलू मुद्रास्फीति के दबाव को काफी कम कर दिया है।
कई क्षेत्रों में चीन ने अर्थव्यवस्था और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं जिनसे पूरी दुनिया को फायदा भी प्राप्त है। यह सच है कि चीन ने राजनीतिक प्रणालियों के संदर्भ में अपना अलग पथ चुना है, पर चीनी मॉडल विश्व सभ्यताओं की विविधता का एक ठोस अभिव्यक्ति है। विश्व इतना बड़ा है कि इसमें चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों देशों की साझी समृद्धि समाहित हो सकती है। इसलिए, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका को प्रभावी ढंग से एक-दूसरे के मूल हितों और चिंताओं का सम्मान करना चाहिए, और प्रत्येक द्वारा चुने गए विकास पथ और अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।
चीन-अमेरिका संबंधों में किसी भी उतार-चढ़ाव का दुनिया पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा, और दोनों के बीच टैरिफ, व्यापार, प्रौद्योगिकी और औद्योगिक के क्षेत्रों में संघर्ष करने का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में चीन को दबाने से केवल संयुक्त राज्य अमेरिका को नुकसान होगा। साथ ही, जलवायु परिवर्तन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास जैसे वैश्विक मुद्दों पर असहयोगात्मक रवैया अपनाने से भी निश्चित रूप से संपूर्ण मानव समाज के हितों को नुकसान होगा।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)