अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी द्वारा शुरू किए गए उपभोक्ता अधिकार की अवधारणा को सम्मान देने वाला अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस बीत चुका है। चूंकि आज की दुनिया उदार अर्थव्यवस्था को गहरे तक आत्मसात कर चुकी है। इसके साथ ही तकरीबन पूरी दुनिया में उपभोक्तावाद का बोलबाला बढ़ गया है। ऐसे में उपभोक्ताओं का जागरूक होना जितना जरूरी है, उतना ही उन्हें उदारवादी व्यवस्था में अधिकार संपन्न बनाना भी है। इस दिशा में दुनियाभर की सरकारें काम कर रही हैं। भारत में तो उपभोक्ता अधिकारों की दिशा में 1986 में ही कदम बढ़ाए जा चुके थे। चीन भी लगातार 1993 में इस दिशा में काम कर रहा है। लेकिन चीन अब इससे भी आगे बढ़ गया है।
हाल ही में उपभोक्ताओं को और अधिकार संपन्न बनाने वाले राज्य परिषद की ओर से प्रस्तावित व्यवस्था पर चीनी प्रधान मंत्री ली छ्यांग का हस्ताक्षर करना बड़ा कदम है। इसमें उपभोक्ता अधिकारों और हितों की सुरक्षा पर चीन के कानून को ठीक से लागू किए जाने वालों नियमों को और बेहतर बनाया गया है। यह सामान्य बात नहीं है। चीन में प्रस्तावित ये नियम आगामी एक जुलाई, 2024 से प्रभावी होंगे। इसमें व्यवसायिक ऑपरेटरों की जवाबदेही को बढ़ाने वाले विस्तृत प्रावधान किए गए हैं। इन नियमों में उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत सुरक्षा के साथ ही उनकी संपत्ति की सुरक्षा की गारंटी दी गई है। इसके साथ ही दोषपूर्ण उत्पादों की हैंडलिंग पर रोक लगाने की भी कोशिश की गई है। इसके साथ ही उपभोक्ताओं से धोखाधड़ी करने वाले विज्ञापनों से उन्हें बचाने के साथ ही वस्तुओं की कीमतों में पारदर्शिता लाने के साथ ही उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने की भी बात की गई है। इसके साथ ही इन नियमों में उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत सुरक्षा के भी प्रावधान शामिल हैं। इन नियमों में उपभोक्ताओं के रूप में बुजुर्गों और नाबालिगों के अधिकारों और हितों की सुरक्षा को लेकर भी नियामक तंत्र के दायित्वों वाले प्रावधान भी जोड़े गए हैं।
चीन के प्रधानमंत्री द्वारा स्वीकृत इन नियमों में ऑनलाइन खपत को लेकर भी जरूरी प्रावधानों को बेहतर बनाया गया है। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को प्रीपेड के एवज में की जाने वाली खपत को लेकर भी संबंधित ऑपरेटरों की जिम्मेदारियों को भी निर्धारित किया गया है। ताकि वे उपभोक्ताओं के साथ किए गए समझौते के अनुसार सामान या सेवाएं ना सिर्फ प्रदान करें, बल्कि गुणवत्ता को भी बनाए रखें।
उपभोक्ता से जुड़े मसले में शायद दुनिया में ये अपनी तरह के नियम हैं, जिनमें उपभोक्ता की शिकायतों के बाद उन्हें दिए जाने वाले मुआवजे के दावों का भी मानकीकरण किया है। इसमें यह भी निर्धारित किया गया है कि उपभोक्ताओं की शिकायतों के संदर्भ में जरूरी पक्षों को सभी कानूनों, विनियमों और प्रासंगिक प्रावधानों का पालन करना होगा। इन नियमों में यह भी ध्यान रखा गया है कि उपभोक्ताओं का इस्तेमाल या नियमों का प्रयोग अनुचित लाभ प्राप्त करने में नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही ऑपरेटरों के वैध अधिकारों और हितों का उल्लंघन करने और बाजार व्यवस्था को बाधित करने के लिए नहीं किया जाएगा। इन नियमों में यह भी साफ किया गया है कि सभी स्तरों पर सरकारों को उपभोक्ता अधिकारों और हितों की सुरक्षा को लेकर विशेष और बाध्यकारी दिशा निर्देश तैयार करना होगा। इसकी व्यवस्था मजबूत करना होगा। इसके साथ ही सरकारी तंत्र को इस दिशा में पर्यवेक्षण, निरीक्षण और कानूनी व्यवस्थापन बढ़ाना होगा। इसमें यह भी तय किया गया है कि सरकारी व्यवस्था को हर हाल में उपभोक्ताओं के वैध अधिकारों और हितों का उल्लंघन करने वाली शिकायतों की तत्काल जांच की जानी चाहिए और उन्हें तुरंत निपटाया जाना चाहिए। इसके साथ ही इन नियमों ने उपभोक्ता संघों के लिए उनके कर्तव्यों का पालन करने के लिए आवश्यकताओं को भी निर्दिष्ट किया गया है।
(वरिष्ठ भारतीय पत्रकार—उमेश चतुर्वेदी)